अश्वगंधारिष्ट के फायदे
अश्वगंधारिष्ट जिसे कि अश्वगंधरिष्टम के नाम से भी सामान्य तौर पर जाना जाता है पर यह आयुर्वेद में पाया जानेवाला एक सूत्र होता ही। अश्वगंधारिष्ट के मुख्य कंपाउंड के रूप अश्वगंधा का इस्तेमाल किया जाता है जो कि टेंशन को मैनेज करने तथा उसे रोकने की गुणों के कारण बहुत अधिक प्रसिद्ध है यह बहुत जल्दी पॉजिटिव रिजल्ट देता है। अश्वगंधा में पाए जाने वाले एंटीपीलेप्टिक के गुण के कारण मिर्गी को मैनेज करने में भी काफी अधिक मदद मिल सकती है। कई ऐसे प्रमाण मिले भी हैं जोकि बताते हैं कि अश्वगंधारिष्ट पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में भी काफी अधिक मदद कर सकता है और आपको स्वस्थ रख सकता है।
अश्वगंधारिष्ट लिक्विड और सिरप के रूप में उपलब्ध है। आप किसी भी प्रकार के टेंशन और चिंता के लक्षणों से राहत पाने के लिए 15-20ml अश्वगंधारिष्ट का सेवन कर सकते या फिर डॉक्टर के बताए अनुसार भी के सकते हैं। अगर आप इसके टेस्ट को थोड़ा पतला करना चाहते हैं तो उसमें बराबर बराबर मात्रा में पानी मिला लें। आप इसे दिन में दो या एक बार जरूर लें और संभव ही तो खाने के बाद जरूर लें। अश्वगंधारिष्ट सामान्य तौर पर बहुत आसानी से बस जाता है और बताइ गई खुराक लेने पर इस दौरान कोई समस्या नहीं होती है पर फिर भी आप अपने डॉक्टर से एक बार जरूर पूछ ले। अगर आप गुर्दे की समस्या से पीड़ित है तो आपको अश्वगंधारिष्ट का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह ले लेनी चाहिए।
अश्वगंधरिष्ट किससे बना है?
अश्वगंधा, सफ़ेद मुसली, मंजिष्ठा, हरड़, हल्दी, दारुहरिद्रा, मुलेठी, रसना, विदरीकंद, अर्जुन, नागरमोथा, निसोठ, अनंतमूल, लाल चंदन, चंदन, वाचा, चित्रक, धातकी, शहद, अदरक, कालीमिर्च, पिपल्ली इत्यादि से बना हुआ है जोकि आपके लिए बहत ही लाभदायक है।
अश्वगंधारिष्ट जैसे अन्य शब्द कौन-कौन से है ?
अश्वगंधारिष्टम, अश्वगंधारिष्ट सिरप
अश्वगंधारिष्ट के फायदे
- तनाव या चिंता में फायदेमंद है अश्वगंधारिष्ट
बहुत अधिक चिंता होना या फिर किसी कठिनाईका सामना करना और संग ही तनावपूर्ण स्थितियों के कारण बहुत अधिक तनाव लेना। जब आपके अंदर की चिंता की भावनाएं किसी भी व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन में बहुत अधिक हस्तक्षेप करती हैं, तो ऐसी स्थिति भी चिंता के होने का कारण बन सकती है और आपको समस्या में डाल सकती है। अश्वगंधारिष्ट चिंता के लक्षणों को मैनेज करने में बहुत उपयोगी है। आयुर्वेद के अनुसार देखें तो वात क्रमशः शरीर और तंत्रिका तंत्र की सभी गतिविधियों और क्रियाओं को नियंत्रित करने का काम करता है। चिंता करने से हमेशा वात असंतुलित हो जाता ही जिससे आपको समस्याएं भी ही सकती है। अश्वगंधारिष्ट चिंता को खत्म करने के साथ-साथ दिमाग को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता रहा है। यह आपके लिए काफी अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है।
- इस्तेमाल करने के लिए टिप
– 15-20 मिली अश्वगंधारिष्ट का सेवन जरूर करें या फिर चिकित्सक के निर्देशानुसार ही इसका सेवन करें।
– अगर आप इसको पतला करना चाहते हैं तो बराबर मात्रा में पानी मिला लें।
-इसे दिन में दो बार लें और वो भी खासतौर भोजन करने के बाद।
तनाव या चिंता में राहत पाने के लिए।
- मिर्गी में भी फायदेमंद होता है अश्वगंधारिष्ट
अश्वगंधारिष्ट मिर्गी के दौरे को मैनेज करने और उसे कम करने का काम करती है। आयुर्वेद की भाषा में मिर्गी को अपस्मार कहा जाता है। मिर्गी का आना एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें रोगियों को एक दौरे का अनुभव सा होता हो। दौरे के समय शरीर के सभी अंगों में कई बहुत ही झटकेदार एक्टिविटी होने लगती है और इस समय व्यक्ति की चेतना खत्म हो जाती है। इस बीमारी में तीनों दोष यानी वात, पित्त और कफ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अश्वगंधारिष्ट इसको मैनेज करने में काफी अधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अश्वगंधारिष्ट अपने त्रिदोष के संतुलन और उसके रसायन के गुणों को मैनेज करने का काम करता है इससे उसे मैनेज करने में काफी अधिक मदद करता है।
- थकान कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है अश्वगंधारिष्ट
अश्वगंधारिष्ट हमारे दैनिक जीवन में थकान को भी नियंत्रित करने में बहुत ही उपयोगी भूमिका निभाता है। थकान का मतलब यहां थकान, कमजोरी या फिर ऊर्जा की कमी की भावना से जुडा हुआ होता है। आयुर्वेद की भाषा में देखें तो थकान को ‘कलमा’ भी कहा जाता है जो कि कफ के दोष में असंतुलन के कारण भी होता है। अश्वगंधारिष्ट कफ को संतुलित करने में भी काफी अधिक मदद करता है और इस प्रकार थकान को भी कम करने का काम करता है। यह बल प्रदान करने का काम करता है और साथ ही केमिकल के गुण भी थकान को कम करने में काफी अधिक मदद करते हैं।
- पुरुषों के यौन रोग में भी फायदेमंद है अश्वगंधारिष्ट
पुरुषों में यौन रोग कामेच्छा में कमी के रूप में दिख सकता है यानि उनका मन यौन क्रिया की ओर नहीं होता है और साथ ही इरेक्शन का समय भी बहुत कम हो सकता है या फिर यौन क्रिया के तुरंत बाद ही वीर्य भी निकल सकता है। इसे समयपूर्व स्खलन के रूप में भी जाना जाता है। अश्वगंधारिष्ट के सेवन का प्रभाव यह होता है कि मनुष्य को इन सब समस्याओं से छुट्ट मिल सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह वीर्य की गुणवत्ता और मात्र को भी काफी अधिक बढ़ाने का काम करता है।
- गठिया में भी फायदेमंद होता है अश्वगंधारिष्ट
अश्वगंधारिष्ट ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी कई दर्दनाक स्थितियों को कम करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाने वाला एक बहुत ही प्रभावी पॉलीहर्बल उपचार माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार देखा जाए तो पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस को संधिवात नाम से भी जाना जाता है और यह इसलिए होता है क्योंकि वात दोष काफी अधिक बढ़ जाता है। अश्वगंधारिष्ट दर्द, सूजन और जोड़ों की गतिशीलता को बनाए रहने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। अश्वगंधारिष्ट का सेवन करने से आप खुद को बहुत अधिक सुरक्षित कर सकते हैं।
अश्वगंधरिष्ट का प्रयोग करते समय बरती जाने वाली सावधानियां
- अश्वगंधरिष्ट के एक कंपाउंड के रूप में गुड का भी इस्तेमाल होता है। आपको मधुमेह के रोगियों को अश्वगंधारिष्ट लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए कि कहीं आपको यह नुकसान नहीं पहुंचाए।
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से पूछ लेना चाहिए जिससे आपको कोई नुकसान न हो। सामान्य तौर पर इसका कोई नुकसान नहीं होता है।
- हाई ब्लड प्रेशर के लिए दवा लेने वाले रोगियों को अश्वगंधारिष्ट का उपयोग करने से पहले अपने चिकित्सक से जरूर पूछ लेना चाहिए।
अश्वगंधरिष्ट की सामान्य खुराक
- अश्वगंधारिष्ट सिरप की खुराक – 15-20 मिली दिन में दो बार या चिकित्सक के निर्देशानुसार ही आप इसका सेवन करें।
- अश्वगंधरिष्ट का उपयोग कैसे करें– 15-20 मिली अश्वगंधारिष्ट या चिकित्सक के निर्देशानुसार ही इसका इस्तेमाल करें। आप इसे पतला करने के लिए बराबर मात्रा में पानी भी मिला सकते हैं।
- इसे आप दिन में दो बार लें और खासकर भोजन करने के बाद ही इसका सेवन करें।