अस्थमा के लक्षण
अस्थमा एक ऐसी समस्या होती है जिसमें किसी व्यक्ति के सांस लेने का रास्ता या वायुमार्ग सूज जाता हैं और इसकी वजह से कोई व्यक्ति बहुत अधिक बलगम भी बना सकता है। अस्थमा के कारण किसी व्यक्ति को सांस लेने में समस्या हो सकती है। जब आप सांस लेते हैं तो उस समय खांसी हो सकती है और सीटी के जैसे आवाज भी हो सकती है और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
कुछ लोगों के लिए अस्थमा एक बहुत ही छोटी सी परेशानी है। पर कई लोगों के लिए यह एक बहुत बड़ी समस्या हो सकती है जो कि व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को भी बहुत अधिक प्रभावित कर सकती है और इसकी वजह से अस्थमा का दौरा पड़ सकता है।
अस्थमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, पर इसके लक्षणों को काबू किया जा सकता है और इसके प्रभावों में भी कमी लाई जा सकती है। पर अस्थमा के लक्षण या पहचान धीरे धीरे बदलता रहता है इसलिए डॉक्टर की सलाह बहुत जरूरी होती है और नियमित रूप में डॉक्टर के सम्पर्क में भी रहना चाहिए।
अस्थमा के लक्षण
अस्थमा के लक्षण हरेक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। इसमें आपको कभी-कभी अस्थमा का अटैक भी पढ़ सकता हैं या फिर कुछ लक्षण ही दिख सकते हैं।
अस्थमा के लक्षणों में निम्न लक्षण शामिल हैं:
- सांस लेने में कठिनाई का होना
- सीने में जकड़न का होना या सीने में तेज दर्द का होना
- साँस लेते या छोड़ते समय घरघराहट का होना
- सांस लेने में बहुत अधिक तकलीफ होना, खाँसी और घरघराहट के कारण
- फ्लू का होना
अस्थमा के बिगड़ने के निम्न लक्षण होते हैं :
- अस्थमा के लक्षणों का बढ़ जाना
- सांस लेने में बहुत अधिक कठिनाई का होना
- इनहेलर का बार इस्तेमाल करना
कुछ लोगों को कई अलग अलग स्थिति में अस्थमा के लक्षण दिखते हैं :
- व्यायाम के समय होने वाला अस्थमा।
- काम करने की जगह पर धूल या गैस और प्रदूषण के कारण होने वाला अस्थमा।
- एलर्जी से होने वाला अस्थमा
डॉक्टर को कब दिखाना है ?
अस्थमा में होने वाले इमरजेंसी के लिए हमेशा तैयार रहें। अस्थमा में होने वाली इमरजेंसी के लक्षणों में शामिल हैं:
- सांस की तकलीफ का बहुत अधिक होना या फिर घरघराहट का बहुत तेजी से बिगड़ जाना
- तुरंत राहत लेने के लिए इन हेलर का इस्तेमाल करने पर भी लाभ न पहुंचाना।
- बहुत कम शारिरिक गतिविधियां करने पर भी सांस का बहुत अधिक भूल जाना
निम्न स्थितियां होने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उनके द्वारा बताए गए निर्देशों को ध्यान में रखें :
- अगर आपको लगता है कि आपको अस्थमा हो चुका है। और अगर आपको लगातार खांसी या घरघराहट होती है और यह कुछ दिनों से अधिक समय तक रहती है या लक्षण बढ़ता ही जा रहा है तो जल्दी ही अस्थमा का इलाज करवाएं। अस्थमा का जल्दी ही इलाज करवाने से लंबे समय तक फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने से रोका जा सकता है और समय के साथ फेफड़ों की स्थिति को खराब कर सकता है।
- अगर आप जानते हैं कि आपको अस्थमा हो चुका है तो इसपर काबू करने के लिए अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। डॉक्टर के दिशा निर्देशों का पालन करने से और दवाईयों को सही तरीके से खाने पर अस्थमा के अटैक से बचा जा सकता है।
- अगर आपको दिखने वाले अस्थमा के लक्षण बहुत खराब हो जाते हैं तो अपने डॉक्टर से तुरंत बात करें। अगर दवाइयों का असर किसी व्यक्ति को नहीं होता है तो उसे इन हेलर का इस्तेमाल और ज्यादा करना चाहिए।
- अपने डॉक्टर से सलाह लिए बिना किसी भी दवा का इस्तेमाल न करें। अस्थमा की दवा के बहुत अधिक इस्तेमाल से व्यक्ति को नुकसान पहुंच सकता है और उसका अस्थमा खराब हो सकता है।
अस्थमा होने के कारण
अभी तक यह नहीं पता चला है कि लोगों को अस्थमा क्यों होता है और अन्य लोगों को क्यों नहीं होता है, पर यह शायद इसमें आनुवांशिक कारण और आसपास का वातावरण बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण होता है।
अस्थमा को ट्रिगर करने वाले कारण
एलर्जी (एलर्जी) को ट्रिगर करने वाले कई कारण और कई पदार्थो के संपर्क के कारण अस्थमा के लक्षण और अधिक हो सकते हैं। अस्थमा का ट्रिगर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग अलग हो सकता हैं और इसमें कई बातें शामिल हो सकती हैं :
- हवा के कारण होने वाली एलर्जी, जैसे पराग के कारण, धूल के कणों के कारण, पालतू जानवरों की रूसी के कारण या कॉकरोच से होने वाली है गंदगी के कारण
- सांस से होने वाला इंफेक्शन
- शारिरिक गतिविधियों के कारण
- ठंडी हवा के कारण
- वायु प्रदूषक और कई सारी समस्याओं के कारण जैसे कि धुआँ, गैस इत्यादि
- कुछ दवाएं भी इसको बढ़ा सकती है, जिनमें कि बीटा ब्लॉकर्स, एस्पिरिन और गैर-स्टेरायडल जैसी दवाओं के साथ इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन आईबी) और नेप्रोक्सन सोडियम (एलेव) जैसी चीजें भी शामिल है।
- इमोशंस और टेंशन के कारण
- गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी) के कारण क्योंकि यह एक ऐसी स्थिति जिसमें कि पेट का एसिड गले में आ जाता है।
अस्थमा का इलाज
सामान्यत: अस्थमा को रोकने का कोई तरीका नहीं है पर उसके असर को कम करने के लिए डॉक्टर विभिन्न तरीके अपना सकते हैं। डॉक्टर निम्न तरीकों को भी अपना सकते हैं :
- इन्फ्लूएंजा और निमोनिया का टीका जरूर लगवाएं
टीकाकरण करवाने रहने से फ्लू और निमोनिया को अस्थमा को ट्रिगर करने से रोका जा सकता है और उसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।
- अस्थमा ट्रिगर्स को पहचानें और उनसे खुद को बचाएं
- कई तरीके की एलर्जी परेशानियों कारण
मोल्ड से लेकर ठंडी हवा और वायु प्रदूषण भी अस्थमा के अटैक को ट्रिगर करने का काम कर सकती हैं। आप खुद भी जानने की कोशिश करें कि यह किन कारणों से होता है।
- अपनी सांस का ध्यान रखें
कोई भी व्यक्ति सावधान रहकर अस्थमा के हमलों से बच सकता है और उसकी चेतावनी को पहचानना सीख सकता हैं, जैसे कि हल्की खांसी का होना, घरघराहट या सांस की तकलीफ का होना।
- दवा डॉक्टर के अनुसार ही लें
डॉक्टर से बात किए बिना कभी दवाएं न बदलें भले ही आपका अस्थमा ठीक हो रहा हो। जब भी डॉक्टर से मिलने आए दवाएं जरूर साथ लेकर आएं। आपका डॉक्टर आपको यह जरूर कि आप अपनी दवाओं का सही उपयोग कैसे करें और उन्हें किस तरह खाएं।
- तुरंत राहत के लिए इनहेलर का इस्तेमाल करें
अगर आप खुद को अपने तुरंत राहत देना चाहते हैं तो इनहेलर का इस्तेमाल करें। डॉक्टर से जरूर बात करते रहें।