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इस्नोफिलिया के लक्षण

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इस्नोफिलिया एक तरह से व्हाइट ब्लड सेल्स यानि श्वेत रक्त कोषिकाएं ही होती हैं जो कि शरीर में परजीवियों यानि कि parasites जैसे पदार्थों को खत्म करने का काम करती हैं और एलर्जी से जुड़े रिएक्शन में भी सहयोग करती है।

इस्नोफिलिया के लक्षण

अगर आपको इस्नोफिलिया है तो लक्षण इस्नोफिलिया के बढ़ते और कम होते मात्रा के आधार पर ही होते है।  अगर इस्नोफिलिया की हल्की फुल्की मात्रा बढ़ती है तो संभव है कि इसका कोई भी लक्षण न दिखें। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • रैश होना
  • खुजली का होना
  • इंफेक्शन होने से डायरिया का होना
  • दमा की समस्या
  • एलर्जी के कारण नाक का लगातार बहना

इस्नोफिलिया होने के कारण

 शरीर में इस्नोफिलिया का काउंट बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। कुछ कारण बहुत हल्के से होते हैं और उनको बहुत ही कम इलाज की जरूरत होती है। इस्नोफिलिया का काउंट एकाएक भी बढ़ सकता है और जल्दी ही ठीक भी हो जाता है। आइए इस्नोफिलिया के काउंट बढ़ने के कुछ सामान्य कारणों को जानते हैं:

परजीवी या Parasite इंफेक्शन: दुनिया भर में इस्नोफिलिया के सबसे आम कारणों में एक पैरासाइट इंफेक्शन है। इन इंफेक्शन के नामों में शिस्टोसोमियासिस, ट्राइकिनोसिस, स्ट्रॉन्ग्लॉइडियासिस और एस्कारियासिस इत्यादि आदि शामिल हैं। ये पैरासाइट संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर में पाए जाते हैं। 

दवाओं की प्रतिक्रिया के कारण: कई दवाएं इस्नोफिलिया को ट्रिगर करने का काम कर सकती हैं, कभी-कभी बिना कोई संकेत दिए या फिर बिना किसी लक्षण के ये समस्या हो सकती है। इस्नोफिलिया के कारणों से जुड़ी सबसे आम दवाओं में एंटीबायोटिक्स (पेनिसिलिन, सेफलोस्पोरिन), गैर-स्टेरायडल दवाएं (एरिनइस्नोफिलिया, इबुप्रोफेन), फ़िनाइटोइन (एंटी-जब्ती) और एलोप्यूरिनॉल (गाउट का इलाज करने के लिए इस्तेमाल होने बाली) दवाएं शामिल हैं। इस्नोफिलिया की समस्या सबसे अधिक दवाओं के ही कारण होती है पर इसका प्रतिशत बहुत कम है।

Hypereosinophilic syndromes के कारण: Hypereosinophilic syndromes (HES) विभिन्न तरह के डिसऑर्डर का एक ऐसा समूह है जो कि इस्नोफिलिया के नंबरों को बहुत बड़ी संख्या में बढ़ा सकता है और उसकी वजह से कई अंगों को नुकसान भी पहुंच सकता है। सामान्य तौर पर यह स्किन फेफड़े और पेट से संबंधित बीमारियों को जन्म देता है। हो सकता है इसके शुरुआती कारण ना पता चलें। 

चुर्ग-स्ट्रॉस सिंड्रोम: चुर्ग-स्टॉस वास्कुलिटिस, जिसे अब पॉलीएंगाइटिस के साथ ईोसिनोफिलिक ग्रैनुलोमैटोसिस भी कहा जाता है वह इस्नोफिलिया की संख्या के बढ़ने का एक प्रमुख कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति वाले लोग शुरू में अस्थमा और कई अन्य तरह के फेफड़ों की बीमारी या इश्यू के साथ पहले से ही जुड़े होते हैं और धीरे धीरे इनमें इस्नोफिलिया की समस्या हो जाती है। इस दौरान ब्लड सेल्स में बहुत बुरी तरह सूजन भी आ सकती है।

विभिन्न कैंसर: इसमें कई तरह के कैंसर शामिल हो सकते हैं, पर विशेष रूप से ब्लड कैंसर, जो इस्नोफिलिया के नंबर को बढ़ाने के लिए जाना जाता हैं। इसमें एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का बहुत ही तेज मायलोइड ल्यूकेमिया (एएमएल) भी शामिल है जिसे ईोसिनोफिलिक ल्यूकेमिया कहा जाता है। इसके कई अन्य कारणों में कई मायलोप्रोलिफेरेटिव नियोप्लाज्म (जैसे थ्रोम्बोसाइटेमिया, पॉलीसिथेमिया वेरा) बी-सेल और टी-सेल लिंफोमा, साथ ही फेफड़े और गर्भाशय के ग्रीवा के एडेनोकार्सिनोमा भी शामिल हैं।

इस्नोफिलिया का निदान

अधिकतर ब्लड से जुड़ी बिमारियों की तरह इस्नोफिलिया की पहचान ब्लड काउंट मतलब CBC के माध्यम से की जाती है।  इस्नोफिलिया व्हाइट ब्लड सेल्स में पाई जाती हैं और वह सीबीसी के उस हिस्से में पाई जाती हैं जिसे डिफरेंशियल कहा जाता है। रिपोर्ट में दिखने वाले बदलाव से पता चलता है कि ब्लड में व्हाइट ब्लड सेल्स (न्यूट्रोफिल, लिम्फोसाइट, मोनोसाइट, ईोसिनोफिल और बेसोफिल) कितनी संख्या में मौजूद हैं।

इस्नोफिलिया की पहचान होने के बाद डॉक्टर इसके कारण को पहचानने  की कोशिश करेंगे। इसके लिए कभी-कभी एक हेमेटोलॉजिस्ट के रेफरल की भी जरूरत होती है।  इस्नोफिलिया को काउंट करके उसे अलग अलग भागों में बांटा जा सकता है।

इस्नोफिलिया का इलाज

 इस्नोफिलिया के इलाज में निम्न बातें शामिल है:

  • ओवरव्यू: यदि आपको इस्नोफिलिया बहुत हल्का है, तो डॉक्टर कई टेस्ट करवा सकते हैं और इसकी संख्या पर अपनी नजर बनाए रख सकते है।
  • अगर कोई दवा किसी व्यक्ति के बढ़े हुए इस्नोफिलिया की गिनती में बढ़ोतरी का कारण बन रही है, तो इसे बंद किया जा सकता है।
  • अस्थमा, एक्जिमा और एलर्जी होने पर उसका इलाज पूरी तरह से किया जा सकता है।
  • इंफेक्शन का इलाज इन्फेक्शन की दवा के माध्यम से किया जा सकता है।
  • प्रेडनिसोन जैसे स्टेरॉयड का उपयोग हाइपेरोसिनोफिलिक सिंड्रोम के इलाज के लिए किया जा सकता है।

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