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एनीमिया के लक्षण

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एनीमिया तब होता है जब शरीर में पाई जाने वाली लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। यह सबसे अधिक होने वाले खून से जुड़ी बीमारी है।

 लैंसेट में प्रकाशित 2015 के एक लेख के अनुसार, दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी में एनीमिया का किसी न किसी रूप में पाया जाता है।

यह अक्सर कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण शरीर में विकसित होता है और यह शरीर के स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) के उत्पादन को प्रभावित करता हैं। ख़राब स्वास्थ्य इन कोशिकाओं के टूटने या नुकसान के दर को बढ़ाने का काम करते हैं।

इस लेख में, हम एनीमिया के लक्षण, उसके प्रकार और एनिमिया के कारणों के साथ-साथ उसके उपचारों के विषय में बताया जाएगा।

एनीमिया के लक्षण

 एनीमिया के लक्षण में सबसे आम लक्षणों में थकान शामिल है।  एनीमिया के अन्य सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  •  पीली त्वचा का होना
  •  तेज या अनियमित दिल की धड़कन
  •  सांस लेने में कठिनाई होना
  •  छाती में दर्द होना
  •  सिर दर्द का होना
  •  सर दर्द होना

 हल्के एनीमिया वाले लोगों को कई हल्का फुल्का लक्षण या कोई भी लक्षण अनुभव नहीं भी हो सकता है।

 एनीमिया के लक्षण में कुछ विशिष्ट लक्षण भी होते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:

 अप्लास्टिक एनीमिया: इसमें बुखार, बार-बार संक्रमण हो सकते और त्वचा पर चकत्ते भी हो सकते हैं।

फोलिक एसिड की कमी से एनीमिया: इसमें चिड़चिड़ापन, दस्त और जीभ पर चिकनापन भी हो सकता है।

 हेमोलिटिक एनीमिया: इसमें पीलिया के साथ गहरे रंग का मूत्र, बुखार और पेट में दर्द भी हो सकता है।

 सिकल सेल एनीमिया: इसमें पैरों और हाथों में दर्द के साथ सूजन, साथ ही थकान और पीलिया भी हो सकता है।

एनीमिया के कारण और प्रकार

 शरीर को जीवित रहने के लिए आरबीसी की आवश्यकता होती है। आरबीसी हीमोग्लोबिन को लाने और ले जाने का काम करते हैं। विभिन्न स्वास्थ्य की समस्याओं के कारण आरबीसी का स्तर निम्न हो सकता है।

एनीमिया कई प्रकार का होता है और इसके होने का कोई एक कारण नहीं होता है। एनीमिया के लक्षण भी अलग अलग हो सकते है।  कुछ लोगों में, यह पहचानना मुश्किल हो सकता है कि आरबीसी की कम होती संख्या का कारण क्या है।

 एनीमिया होने के तीन मुख्य कारण हैं:

 खून का नुक़सान होना

 आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया ही एनीमिया का सबसे आम प्रकार माना जाता है, और रक्त की कमी अक्सर इसका मुख्य कारण होता है।  रक्त में आयरन की कमी से ऐसी स्थिति होती है, और रक्त की कमी के परिणामस्वरूप आयरन का निम्न स्तर अक्सर हो जाता है।

जब शरीर में खून की कमी हो जाती है, तो यह खून की वाहिकाओं को भरा रखने के लिए ऊतकों अर्थात् टिश्यू से पानी खींचता है।  यह अतिरिक्त पानी रक्त को पतला करता है, जिससे आरबीसी की संख्या कम हो जाती है।

रक्त की हानि बहुत तेजी से हो सकती है।  तेजी से खून की कमी के कुछ कारणों में सर्जरी, प्रसव और चोट लगना भी हो सकता हैं।

एनीमिया के लिए लंबे समय तक खून की कमी होना ही मुख्य कारण होता है।  यह पेट के अल्सर, कैंसर या किसी अन्य प्रकार के ट्यूमर के परिणामस्वरूप भी हो सकता है।

एनीमिया के अन्य कारणों में शामिल हैं:

  •  गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल स्थितियां जैसे अल्सर, बवासीर, कैंसर, या गैस्ट्र्रिटिस।
  •  एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी गैर-स्टेरायडल विरोधी दवाओं का उपयोग
  • मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव
  •  बिगड़ा हुआ आरबीसी

अस्थि मज्जा हड्डियों के केंद्र में नरम, स्पंजी ऊतक होता है, और यह आरबीसी बनाने में एक जरूरी भूमिका निभाता है।  मज्जा स्टेम कोशिकाओं का उत्पादन करती है, जो आरबीसी, सफेद रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स में विकसित होती हैं।

 ल्यूकेमिया सहित कई बीमारियां अस्थि मज्जा को प्रभावित कर सकती हैं।  यह एक प्रकार का कैंसर है जो अत्यधिक श्वेत रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को ट्रिगर करता है, जिससे आरबीसी का उत्पादन बाधित होता है।

अस्थि मज्जा की समस्या एनीमिया का कारण बन सकती हैं।  अप्लास्टिक एनीमिया तब होता है जब मज्जा में कोई स्टेम सेल मौजूद नहीं होता हैं।

कुछ मामलों में, एनीमिया तब होता है जब आरबीसी सामान्य रूप से विकसित और परिपक्व नहीं होते हैं, जैसा कि थैलेसीमिया के साथ होता है।

अन्य प्रकार के एनीमिया जो आरबीसी में कमी के कारण होते हैं, उनमें शामिल हैं:

सिकल सेल एनीमिया (Sickle cell anemia)

इसमें आरबीसी का आकार अर्धचंद्राकार जैसा हो जाता है। ऐसे आरबीसी स्वस्थ आरबीसी की तुलना में अधिक तेज़ी से टूट सकते हैं या छोटी रक्त वाहिकाओं में जमा हो सकते हैं और यह रुकावट ऑक्सीजन के स्तर को कम कर सकती है।

 लोहे की कमी से एनीमिया

 शरीर में आयरन की कमी के कारण बहुत कम आरबीसी का उत्पादन होता है। निम्न कारणों से आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया विकसित हो सकता है:

  • आहार में आयरन की कमी
  • माहवारी के दौरान आयरन की कमी
  •  बार-बार रक्तदान के कारण
  • कुछ पाचन स्थितियां, जैसे क्रोहन रोग
  •  दवाएं जो आंत के अस्तर को परेशान करती हैं। जैसे कि इबुप्रोफेन

विटामिन की कमी से होने वाला एनीमिया

 आरबीसी के उत्पादन के लिए विटामिन बी-12 और फोलेट दोनों ही बेहद आवश्यक हैं।  यदि कोई व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में विटामिन का सेवन नहीं करता है, तो उसके शरीर में आरबीसी की संख्या कम हो सकती है।

विटामिन की कमी वाले एनीमिया के कुछ उदाहरणों में मेगालोब्लास्टिक एनीमिया और कई हानिकारक एनीमिया शामिल हैं।

 आरबीसी का खत्म होना

 आरबीसी कोशिकाओं का आमतौर पर रक्तप्रवाह में 120 दिनों का जीवन काल होता है, लेकिन शरीर इससे पहले भी उन्हें नष्ट कर सकता है या हटा सकता है।

 ऑटोइम्यून हेमोलिटिक एनीमिया जो आरबीसी के विनाश के परिणामस्वरूप होता है। यह तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली पर कोई अन्य बिमारी हमला करती और आरबीसी की संख्या को नुक़सान पहुंचाती है।

कई अन्य कारक भी आरबीसी के अत्यधिक टूटने का कारण बन सकते हैं। इन कारकों में शामिल हैं:

  • विभिन्न संक्रमण
  • एंटीबायोटिक्स सहित कुछ दवाएं
  •  गंभीर उच्च रक्तचाप का होना
  • कृत्रिम हृदय वाल्व के कारण
  •  गुर्दे में विषाक्त के कारण
  •  हेमोलिटिक बीमारी के कारण ऑटोइम्यून पर हमला
  •  सांप या मकड़ी का जहर

एनीमिया का इलाज

 एनीमिया के लिए उपचार की एक पूरी चेन है। और इसमें हरेक का उद्देश्य आरबीसी की संख्या में वृद्धि करना है, जो कि बदले में खून में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है।

 नीचे कई प्रकार के एनीमिया के विभिन्न उपचार बताएं गए हैं:

 आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया: आयरन की खुराक लेने से और आहार में परिवर्तन इसको ख़त्म करने में मदद कर सकते हैं, और जब जरूरी हो तो, डॉक्टर अत्यधिक खून बहने के कारण की पहचान करने के साथ समाधान भी करेंगे।

विटामिन की कमी से एनीमिया: उपचार के दौरान पौष्टिक आहार लेकर और विटामिन बी-12 शॉट्स भी लेकर इस एनीमिया को ठीक कर सकते हैं।

 थैलेसीमिया: उपचार में फोलिक एसिड की खुराक, आयरन केलेशन, और कई लोगों के लिए अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण भी शामिल हैं।

पुरानी बीमारी के कारण एनीमिया: डॉक्टर अंतर्निहित स्थिति को ठीक करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे।

अप्लास्टिक एनीमिया: इलाज में खून बढाने या अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण करना शामिल है।

सिकल सेल एनीमिया: उपचार में आमतौर पर ऑक्सीजन थेरेपी, पेन किलर दवाएं और कई लिक्विड चीजें शामिल होती हैं, लेकिन इसमें एंटीबायोटिक्स, फोलिक एसिड की खुराक, खून को बढ़ाने वाली दवाएं और हाइड्रोक्सीयूरिया नामक कैंसर की दवा भी शामिल हो सकती है।

हेमोलिटिक एनीमिया: उपचार के दौरान इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाएं, इंफेक्शन के लिए इलाज और प्लास्मफेरेसिस शामिल हो सकते हैं, जो रक्त को फ़िल्टर करते हैं।

एनीमिया के लिए आहार

 यदि पोषक तत्वों की कमी के कारण एनीमिया हो रहा है तो आयरन से भरपूर चीजों को खाने की जरूरत जिससे शरीर खून की जरूरत को पूरा किया जा सके।

निम्नलिखित खाद्य पदार्थ आयरन से भरपूर होते हैं:

  •  आयरन से भरपूर अनाज और ब्रेड
  •  पत्तेदार हरी सब्जियां, जैसे केल, पालक, और वॉटरक्रेस
  •  दालें और बीन्स
  •  भूरा चावल
  •  सफेद या लाल मांस
  •  दाने और बीज
  •  मछली
  •  टोफू खाना
  •  अंडे का सेवन
  •  खुबानी, किशमिश, और आलूबुखारा सहित सूखे मेवे

जोखिम

 एनीमिया सभी उम्र के लोगों, किसी भी लिंग और किसी भी जाति के लोगों को हो सकता है।

एनीमिया का निदान

 एनीमिया का निदान करने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम तरीके में है ब्लड टेस्ट करना जिसमें सीबीसी की जाती है। यह कई घटकों को मापता है, जिनमें शामिल हैं:

  •  हेमटोक्रिट स्तर, जिसमें रक्त की कुल मात्रा के साथ आरबीसी की मात्रा की तुलना भी शामिल है
  •  हीमोग्लोबिन का स्तर
  •  आरबीसी गिनती

 यदि आरबीसी, हीमोग्लोबिन और हेमटोक्रिट का स्तर सामान्य सीमा से नीचे आता है, तो व्यक्ति को किसी न किसी रूप में एनीमिया होने की संभावना होती है पर इसके अलावा कोई अन्य बीमारी भी हो सकती है जरूरी ही नहीं कि इन लक्षणों के दिखने पर एनीमिया ही हो। एनीमिया के लक्षण की तरह दिखने वाले लक्षण किसी और बीमारी के भी लक्षण हो सकते है।

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