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ऐलोवेरा के फायदे

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एलोवेरा या एलो बारबाडेंसिस या फिर एक मोटा और थोड़ा छोटे तने वाला पौधा है जोकि अपनी पत्तियों में पानी को जमा करता है। यह स्किन की चोटों के इलाज के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पर इसके कई अन्य उपयोग भी हैं जो कि संभावित रूप से स्वास्थ्य को कई तरह के लाभ पहुंचा सकते हैं।

इस लेख में एलोवेरा के फायदे या एलोवेरा के औषधीय गुण या एलोवेरा जूस के फायदे के बारे में बताया जाएगा। इसके उपयोग से जुड़े कुछ कई तरह के जोखिमों को भी इस लेख में शामिल किया गया है।

1. एक बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक पौधा

एलोवेरा के औषधीय गुण को ध्यान में ही रखकर कॉस्मेटिक या फार्मास्युटिकल और कई तरह की फूड इंडस्ट्री में भी एलोवेरा का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता हैं, और इस इंडस्ट्री का विश्व स्तर पर अनुमानित बाजार मूल्य लगभग $13 बिलियन से भी ज्यादा है।

एलोवेरा अपनी मोटी, नुकीली और साथ पानी से भरी हुई हरी पत्तियों के लिए जाना जाता है जोकि लंबाई में लगभग 12-19 इंच (30-50 सेंटीमीटर) तक बढ़ सकता हैं।

इसके हरेक पत्ते में एक पतला सा टिश्यू होता है जो कि पानी को जमा करने का काम करता है, और इससे उसकी पत्तियां बहुत मोटी हो जाती हैं। यह पानी से भरा टिश्यू “जेल” होता है इस एलोवेरा को प्रोडक्ट के रूप में कई लोग इस्तेमाल करता हैं।

इस जेल के पौधे में अधिकतर लाभकारी बायोएक्टिव कंपाउंड होते हैं, जिनमें कि विटामिन, खनिज, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सिडेंट भी शामिल हैं।

 2.इसमें एंटीऑक्सीडेंट और जीवाणुनाशक होते है।

एंटीऑक्सिडेंट स्वास्थ्य के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं। यह एलोवेरा जेल में पॉलीफेनोल्स नामक पदार्थों के एक बड़े फैमिली से जुड़े हुए बेहद शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट होते हैं।

ये पॉलीफेनोल्स, एलोवेरा में कई अन्य यौगिकों के साथ होते हैं और कुछ बैक्टीरिया के बढ़ने के तरीकों को रोकने में मदद करते हैं जोकि मनुष्यों में इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं।

एलोवेरा अपने जीवाणु को खत्म करने की विशेषता और साथ ही एंटीवायरल और एंटीसेप्टिक गुणों के लिए भी जाना जाता है। यही कारण है कि यह घावों को भरने और स्किन की समस्याओं का इलाज करने में बहुत अधिक मदद कर सकता है।

3.यह घाव भरने में तेजी लाता है।

लोग अक्सर एलोवेरा को एक दवा के रूप में उपयोग करते हैं और इसका सेवन करने के बजाय इसे स्किन पर रगड़ते हैं। सामान्य तौर पर देखें तो इसका इस्तेमाल घावों के इलाज में भी किया जाता है और विशेष रूप किसी चीज से जलने पर या फिर सनबर्न होने पर। यह एलोवेरा के फायदे में सबसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है।

कई बार किए गए रिसर्च से पता चलता है कि यह पहली और दूसरी डिग्री से जलने के बाद बचाव के लिए एक प्रभावी इलाज के रूप में जाना जाता है।

अभी तक किए गए कई तरह के रिसर्च में पता चला है कि एलोवेरा पारंपरिक दवा की तुलना में जलने के इलाज के समय को लगभग 9 दिनों तक कम कर सकता है और बहुत जल्दी इससे छुटकारा दिलवा सकता है। यह लाल होने या फिर खुजली करने और इंफेक्शन को रोकने में भी मदद करता है। आप कई ऐलोवेरा के फायदे जान चुके होंगे।

एलोवेरा के फायदे में यह भी शामिल है कि यह कई अन्य प्रकार के घावों को ठीक करने में मदद कर सकता है।

 4.यह दांतों के सड़न को कम करता है।

दांतों की सड़न का होना और मसूड़े के रोग से परेशान होना बहुत ही सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं हो गई हैं। इन स्थितियों को रोकने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक है दांतों पर प्लाक या फिर बैक्टीरियल बायोफिल्म के निर्माण को बहुत कम करना।

300 स्वस्थ लोगों पर किए गए एक माउथ रिंस रिसर्च में रिसर्च करने वालों ने 100% शुद्ध एलोवेरा जूस की तुलना एक अच्छे माउथवॉश कंपाउंड क्लोरहेक्सिडिन से की।

4 दिनों के लगातार इस्तेमाल के बाद एलोवेरा मुंह के इस बीमारी के इलाज में क्लोरहेक्सिडिन की तरह ही बहुत ही प्रभावी दिखाई दिया।

एक अन्य अध्ययन में भी पाया गया है कि एलोवेरा माउथ रिंस के समान लाभ 15 से 30 दिनों की अवधि में मिलते हैं। ऐलोवेरा जूस के फायदे भी ऐलोवेरा के जैसे ही होते हैं या कहीं और अधिक प्रभावशाली ही होते हैं।

एलोवेरा मुंह में बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स को मारने में भी बहुत अधिक प्रभावशाली है और साथ ही खमीर कैंडिडा अल्बिकन्स भी।

5.ऐलोवेरा नासूर घावों के इलाज में मदद करता है।

एलोवेरा जूस के फायदे में यह भी शामिल है कि ये घाव के इलाज में बहुत अधिक फायदेमंद है। आप में से बहुत से लोग अपने जीवन में कभी न कभी मुंह में होने वाले छालों या फिर नासूर घावों को जरूर महसूस करते होंगे। पर ये आमतौर पर होंठ के नीचे, मुंह के अंदर होते है और लगभग एक सप्ताह तक वहां बने रहते हैं। कई तरह के रिसर्च से पता चला है कि एलोवेरा से किए गया इलाज मुंह के छालों के इलाज में काफी अधिक तेजी ला सकता है।

उदाहरण के लिए देखें तो मुंह में बार-बार होने वाले अल्सर वाले 180 लोगों पर 7दिन किए गए रिसर्च में पता चला है कि इस एरिया पर एलोवेरा का पैच लगाना काफ़ी फायदेमंद होता है और अल्सर के आकार को भी कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हालांकि, इसने कई पारंपरिक अल्सर के इलाज से बेहतर प्रदर्शन नहीं किया है पर ये लाभकारी जरूर रहा है।

किए गए एक अन्य अध्ययन में भी पता चला है कि एलोवेरा जेल ने न केवल मुंह के छालों के इलाज को बहुत तेज किया, बल्कि इससे जुड़े दर्द को भी काफी कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।

6.यह कब्ज को कम करता है।

एलोवेरा कब्ज के इलाज में भी बहुत अधिक मदद कर सकता है। पर इस बार इसके जेल का इस्तेमाल नहीं बल्कि इसके लेटेक्स का इस्तेमाल किया जाता है। यह  बहुत अधिक लाभ प्रदान करता है। लेटेक्स एक चिपचिपा सा और पीला सा अवशेष होता है जोकि पत्ती की त्वचा के ठीक नीचे पाया जाता है। इस प्रभाव का सबसे अधिक कारण होता उसका सबसे प्रमुख कंपाउंड एलोइन या बारबेलोइन जिसमें कि अच्छी तरह से पाया जानेवाला रेचक प्रभाव सबसे महत्त्वपूर्ण होता है।

हालांकि कई लोगों ने बार-बार इसके इस्तेमाल से सुरक्षा को लेकर बहुत अधिक चिंता जताई है। इस कारण से इसे एलो लेटेक्स 2002 से यू.एस. में ओवर-द-काउंटर दवा के रूप में उपलब्ध नहीं है।

पर कई आम धारणा के विपरीत, एलोवेरा कई अन्य पाचन स्थितियों, जैसे कि चिड़चिड़ा आंत सिंड्रोम या फिर सूजन आंत से जुड़े रोग के खिलाफ बहुत अधिक प्रभावी नहीं दिखता है।

7.यह स्किन को स्वस्थ रखता है और झुर्रियों को खत्म करने का काम करता है।

कई शुरूआती प्रमाण मिलते हैं जो कि बताते हैं कि एलोवेरा जेल स्किन की उम्र बढ़ने की गति को बहुत अधिक धीमा कर सकता है। 2009 में 45 वर्ष से अधिक उम्र की 30 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि ओरल एलोवेरा जेल लेने से कोलेजन उत्पादन में बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई है और 90 दिनों की अवधि में त्वचा की लोच में बहुत अधिक सुधार देखा गया है।

कई तरह की समीक्षाएं यह भी बताती हैं कि एलोवेरा त्वचा को नमी बनाए रखने और त्वचा को क्रैक होने से बचाने में भी बहुत अधिक मदद करता है, जिससे कई बार शुष्क त्वचा की स्थिति में भी बहुत अधिक लाभ हो सकता है।

एलोवेरा के स्किन के ऊपर पर प्रभावों निम्नलिखित तरह के भी हो सकते है:

  • मुंहासों के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल
  • सोरायसिस के लिए एलोवेरा इस्तेमाल
  • एक्जिमा के लिए एलोवेरा का इस्तेमाल

8.यह ब्लड शुगर के स्तर को कम करता है।

कई लोग कभी-कभी एलोवेरा का इस्तेमाल डायबिटीज के इलाज के लिए भी करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह इंसुलिन संवेदनशीलता को बहुत अधिक बढ़ा सकता है और ब्लड शुगर के मैनेजमेंट में सुधार लाने में भी बहुत अधिक मदद कर सकता है।

उदाहरण के लिए देखें तो किए 8 रिसर्चों की समीक्षा में पाया गया है कि एलोवेरा के ग्लाइसेमिक नियंत्रण पर इसके प्रभाव के कारण प्रीडायबिटीज या टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के लिए भी यह बहुत अधिक लाभकारी हो सकता है।

हालांकि कई मौजूदा अध्ययनों की गुणवत्ता इसके लिए आदर्श नहीं है, इसलिए वैज्ञानिक वर्तमान में इस उद्देश्य के लिए एलोवेरा का उपयोग करने की सलाह नहीं देते हैं।

ऐलोवेरा के इस्तेमाल से जोखिम

एलोवेरा कुछ थोड़े बहुत ज्ञात दुष्प्रभाव हैं पर यह एक बहुत ही सुरक्षित इलाज है जहां लाभ बहुत अधिक है।

पूरक और एकीकृत स्वास्थ्य के लिए बनाए गए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीसीआईएच) का कहना है कि ऐलोवेरा उपयोग काफी अधिक सुरक्षित है।

रिसर्च में पता चला है कि एलोवेरा के ओरल इस्तेमाल से इसके रेचक प्रभाव के कारण पेट में ऐंठन या फिर दस्त भी हो सकता है। इसका लंबे समय तक एलोवेरा का इस्तेमाल से जिगर में नुकसान पहुंचने की भी कुछ रिपोर्टें आई हैं पर अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।

NCCIHT यह भी रिपोर्ट करता है कि एलोवेरा के पूरे पत्ते का अर्क चूहों में कैंसर के खतरे से जुड़ा हो सकता है और वह मनुष्य को भी प्रभावित कर सकता है।

सारांश

सारांश के तौर पर देखें तो एलोवेरा में कई चिकित्सीय गुण पाए जाते हैं जोकि विशेष रूप से त्वचा और मसूड़ों के लिए मरहम के रूप में काम करते हैं और बहुत अधिक फायदा पहुंचाते है।

लोग बोतलबंद एलोवेरा जेल का भी उपयोग कर सकते हैं या इसे सीधे एलोवेरा के पौधे की पत्ती से भी इसे ले सकते हैं। एलोवेरा जूस के साथ साथ एलोवेरा जेल के भी अलग-अलग उपयोग होते हैं। ओरल इस्तेमाल से होने वाले मजोखिम को कम करने के लिए एलोवेरा की पूरी पत्ती का अर्क शामिल होना चाहिए।

किसी भी स्थिति का इलाज करने के लिए एलोवेरा उत्पादों का उपयोग करने से पहले एक व्यक्ति को हमेशा डॉक्टर से बात करनी चाहिए और उसके सलाहाें का पालन करना चाहिए।

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