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काली मिर्च के फायदे

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काली मिर्च दुनिया भर में सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक मानी जाती है। यह पेपरकॉर्न को पीसकर बनाया जाता है, जो कि बेल पाइपर नाइग्रम से होते हैं। यह तीखा और हल्का मसालेदार टेस्ट का होता है जो कि कई व्यंजनों के साथ खाने में बहुत अच्छा लगता है।

लेकिन काली मिर्च सिर्फ किचन स्टेपल में ही इस्तेमाल होती है बल्कि इसका इस्तेमाल कहीं ज्यादा होता है।  इसे “मसालों का राजा” भी माना जाता है और हजारों वर्षों से प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसका उपयोग शक्तिशाली, लाभकारी पौधों के कंपाउंड की उच्च सांद्रता के कारण किया जाता है जोकि बहुत ही लाभदायक साबित हुआ है।

 काली मिर्च से जुड़े हुए कुछ लाभ निम्नलिखित है –

एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है काली मिर्च

फ्री रेडिकल्स बहुत अधिक अस्थिर प्रवृत्ति के होते हैं जोकि कई कोशिकाओं को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई तरह के फ्री रेडिकल्स अपने आप बन जाते हैं जिस समय आप व्यायाम कर रहे होते हैं या फिर भोजन को पचाने का काम आपका शरीर कर रहा होता है। इसके अलावा प्रदूषण के कारण या फिर सिगरेट के धुएं और कई बार सूरज की किरणों के संपर्क में आने से भी फ्री रेडिकल्स बन जाते हैं। एक्स्ट्रा फ्री रेडिकल्स हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर सकते हैं। उदाहरण के लिए देखे तो सूजन या फिर दिल की बीमारी या फिर जल्दी बुढ़ापा होने का खतरा फ्री रेडिकल से हो सकता है।

काली मिर्च पिपेरिन नामक पौधे के कंपाउंड से भरपूर होती है, जिसमें टेस्ट-ट्यूब रिसर्चों के दौरान बहुत अधिक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। कई तरह के अध्ययनों से पता चलता है कि एंटीऑक्सिडेंट में उच्च आहार फ्री रेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों को रोकने या देरी करने में बहुत अधिक मदद कर सकता है। टेस्ट-ट्यूब और टिश्यू पर किए गए रिसर्च से पता चला है कि पिसी हुई काली मिर्च और पिपेरिन की खुराक फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान को कम कर सकती है।

उदाहरण के लिए देखें तो चूहों ने एक अधिक वसा वाले आहार के साथ-साथ काली मिर्च या फिर काली मिर्च के अर्क को 10 सप्ताह के बाद उनकी कोशिकाओं में फ्री रेडिकल्स की कमी पाई गई थी।

 एंटी इंफ्लेम्टरी होती है काली मिर्च

 गठिया या फिर हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी कई स्थितियों में पुरानी सूजन एक अंतर्निहित कारक जरूर हो सकती है। कई लैब में किए गए रिसर्च से पता चलता है कि पिपेरिन – काली मिर्च में मुख्य सक्रिय यौगिक – प्रभावी रूप से सूजन से लड़ सकता है और बहुत अधिक सुरक्षा भी पहुंचा एकता।

 उदाहरण के लिए देखें तो गठिया की बीमारी से पीड़ित चूहों पर किए गए रिसर्च में पिपेरिन के साथ उपचार के परिणामस्वरूप कम  सूजन और सूजन के कम ब्लड मार्कर पाए जाते थे। कई माउस अध्ययनों में, पिपेरिन ने अस्थमा और मौसमी एलर्जी के कारण वायुमार्ग में सूजन को दबा दिया और बहुत अधिक आराम पहुंचाने का काम किया। पर काली मिर्च और पिपेरिन के सूजन-रोधी प्रभावों का अभी तक लोगों में व्यापक अध्ययन नहीं किया गया है इसलिए इसका इस्तेमाल दवाई के रूप में नहीं किया जा सकता है।

दिमाग को फायदा पहुंचा सकता है कालीमिर्च

काली मिर्च हमारे दिमाग को फायदा पहुंचाता है। जानवरों पर किए गए एक अध्ययन में पिपेरिन को दिमाग के कामों में सुधार करते हुए देखा गया है। देखा जाए तो यह अल्जाइमर और पार्किनसंस जैसे रोगों से जुड़े लक्षणों में यह फायदा पहुंचाता है।

उदाहरण के लिए देखे तो अल्जाइमर से पीड़ित होने वाले चूहों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि पिपेरिन ने याददाश्त में बहुत तेजी से सुधार किया है क्योंकि पिपेरिन ने चूहों में कंपाउंड नहीं बनने दिया और उन्हें अपनी जगहों से भटका दिया था।

एक अन्य रिसर्च में यह भी पता चला है कि पिपेरिन निकालने से अमाइलॉइड क्रिस्टल टुकड़े के बनने में कमी आती है, जो कि मस्तिष्क में हानिकारक प्रोटीन के टुकड़े होते हैं और वही अल्जाइमर रोग से जुड़े हुए होते हैं। फिर भी इस बात की पुष्टि करने के लिए अभी और रिसर्च की आवश्यकता है क्योंकि जानवरों की अतिरिक्त अभी मनुष्य पर इस से जुडा रिसर्च नहीं किया गया है इसलिए इस बारे में निश्चित तौर पर कुछ भी कहना अभी तृप्त नहीं होगा।

ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण करता है काली मिर्च

कई रिसर्च में पता चला है कि काली मिर्च ब्लड शुगर और मेटाबॉलिज्म को सुधारने में बहुत अधिक मदद करता है और शरीर को लाभ पहुंचाता है। एक अन्य रिसर्च में यह भी पता चला है कि ग्लूकोज का सेवन करने वाले चूहों की तुलना में काली मिर्च का सेवन करने वाले चूहों ने अपनी ब्लड में शुगर के स्तर को कम करने में सफलता हासिल की थी उनमें मेटाबोलिज्म का स्तर भी कम हुआ था। 

 इसके अतिरिक्त, 8 सप्ताह के लिए पिपेरिन और अन्य यौगिकों से युक्त सप्लीमेंट लेने वाले 86 किलो से अधिक वजन वाले लोगों ने इंसुलिन की संवेदनशीलता में बहुत अधिक महत्वपूर्ण सुधार का अनुभव किया है। यह एक ऐसा उपाय है जोकि हार्मोन इंसुलिन में ब्लड के रास्ते से ग्लूकोज को बहुत अच्छी तरह हटाता है।

 हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि क्या वही प्रभाव अकेले सिर्फ काली मिर्च के साथ भी होगा या नहीं, क्योंकि इस अध्ययन में कई तरह के एक्टिव पौधों के कंपाउंड के संयोजन का उपयोग किया गया था।

कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करता है काली मिर्च

हाई लेवल कोलेस्ट्रॉल ह्रदय रोग को बढ़ाने या उसके जोखिम को बढ़ाने का काम करता है जोकि दुनिया में सबसे अधिक मौतें होने का कारण है। कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने के लिए जानवरों पर एक रिसर्च किया गया जिसमें उन्हें काली मिर्च का अर्क दिया गया और उसका सकारात्मक परिणाम निकला।

42-दिवसीय अध्ययन में पाया गया है कि चूहों को उच्च वसा वाला आहार दिया गया और एक काली मिर्च के अर्क ने एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल सहित रक्त कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने का काम किया है। पर यह प्रभाव सभी जानवरों पर एक सामान नहीं रहा है।

 इसके अतिरिक्त देखें तो काली मिर्च और पिपेरिन को आहार की खुराक के अवशोषण को बढ़ावा देने के लिए भी जाना जाता है जिसमें हल्दी और लाल खमीर चावल जैसे संभावित कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले प्रभाव अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।

 उदाहरण के लिए देखें तो कई तरह के अध्ययनों से पता चला है कि काली मिर्च हल्दी के एक्टिव कंपाउंड – करक्यूमिन – के अवशोषण को 2,000% तक बढ़ा सकती है और लाभ पहुंचा सकती है।

 फिर भी यह निर्धारित करने के लिए अभी और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है कि क्या काली मिर्च का मनुष्यों में महत्वपूर्ण कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला प्रभाव पाया जाता है या नहीं ?

काली मिर्च में पाए जाते हैं कैंसर से लड़ने वाले गुण

 शोधकर्ताओं का यह भी अनुमान है कि काली मिर्च, पिपेरिन में सक्रिय यौगिक ने कैंसर से लड़ने वाले गुण पाए जाते हैं जोकि बहुत अधिक लाभदायक होते है। हालांकि इससे जुड़ा हुआ अभी तक कोई मानव परीक्षण नहीं किया गया है पर टेस्ट-ट्यूब अध्ययनों में यह जरूर पाया गया है कि पिपेरिन ने स्तन, प्रोस्टेट और कोलन कैंसर कोशिकाओं की प्रतिकृति को बहुत अधिक धीमा कर दिया और कैंसर कोशिका मृत्यु को भी प्रेरित करने का काम किया है।

एक अन्य टेस्ट-ट्यूब रिसर्च में भी पता चला है कि मसालों से 55 कंपाउंड की जांच की गई है और पाया गया है कि काली मिर्च से पिपेरिन ट्रिपल-नेगेटिव स्तन कैंसर, सबसे आक्रामक कैंसर प्रकार के लिए भी पारंपरिक उपचार की प्रभावकारिता को बढ़ाने में सबसे अधिक प्रभावी साबित हुआ था।

बॉटम लाईन

काली मिर्च और इसके एक्टिव कंपाउंड पिपेरिन में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट जैसे गुण हो सकते है।

लैब में किए गए रिसर्च से पता चलता है कि काली मिर्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर और साथ ही ब्लड शुगर के नियंत्रण और मस्तिष्क के साथ ही आंत के स्वास्थ्य में बहुत अधिक सुधार कर सकती है।

 इन आशाजनक निष्कर्षों के बावजूद भी काली मिर्च और इसके केंद्रित अर्क के सटीक स्वास्थ्य लाभों को और भी बेहतर ढंग से समझने के लिए मनुष्य पर और अधिक रिसर्च की जरूरत है ताकि इसके विषय में पूरी तरह से स्पष्टता आ सके।

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