गिलोय खाने के फायदे
आप खुद को ठीक करने के लिए नैचुरल इलाजों को भी आप अपना सकते हैं। कई तरह के रिसर्च में पर चला है कि भारत में इलाज के तरीकों में इस्तेमाल किए जानेवाला आयुर्वेद बहुत ही लाभकारी है और दुनिया का सबसे अच्छा नेचुरल इलाज है।
आयुर्वेद के गिलोय के फायदे को बड़े पैमाने पर स्वीकार किया गया है। गिलोय को कई तरह के बुखरिनी और साथ ही कई अन्य तरह की बीमारियों के इलाज के लिए सबसे अच्छी दवा के रूप में स्वीकार किया गया है। गिलोय के फायदे के कारण ही गिलोय को अमरता का पौधा माना जाता है। अमरता के पौधे के कारण ही इसका नाम संस्कृत में अमृतवल्ली या अमृता भी कहा जाता है।
गिलोय क्या है?
गिलोय को वैज्ञानिक नाम हिंदी में टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया या गुडुची है और यह इसी नाम से जाना जाता है। गिलोय के फायदे की बात करें तो गिलोय का तना अपनी बहुत अच्छी पोषण सामग्री और इसमें पाए जाने वाले एल्कलॉइड के कारण बहुत अधिक प्रभावशाली माना जाता है लेकिन इसकी जड़ और इसकी पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
चरक संहिता के एक श्लोक के अनुसार गिलोय कड़वे स्वाद वाली मुख्य जड़ी-बूटियों में से एक है और बहुत अधिक प्रभावशाली है। इसका इस्तेमाल विभिन्न तरह के बीमारियों और वात तथा कफ दोष को खत्म करने में किया जाता है। यह बहुत अधिक प्रभावशाली है।
गिलोय की पत्तियां दिल के आकार की होती है और उसके लाल रंग के फल के कारण इसका नाम हार्ट-लीव्ड मूनसीड भी पड़ा है।
गिलोय के औषधीय गुण क्या हैं?
गिलोय का तना अपनी बहुत अधिक पोषण और इसमें पाए जाने वाले एल्कलॉइड, ग्लाइकोसाइड, स्टेरॉयड और अन्य चीजों के कारण बहुत अधिक गुणकारी माना जाता है, लेकिन इसकी जड़ और पत्तियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है और गिलोय के फायदे का इस्तेमाल किया जा सकता है।
गिलोय में मौजूद कई तरह के यौगिक विभिन्न बीमारियों जैसे कि मधुमेह, कैंसर और कई नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियां साथ ही बुखार आदि के खिलाफ भी बहुत अच्छा काम करता हैं।
गिलोय का सेवन कैसे करें?
गिलोय की लकड़ी के फायदे और गिलोय जूस के फायदे को देखते हुए इसके उपयोग के कई तरीके बताए गए हैं। आयुर्वेद के अनुसार, गिलोय का सेवन या तो पाउडर के रूप में किया जा सकता है या फिर काढ़ा या जूस के रूप में भी किया जा सकता है। आजकल यह कैप्सूल और रेडीमेड पाउडर के रूप में भी उपलब्ध है। गिलोय को स्किन की समस्याओं के लिए पेस्ट के रूप में भी स्किन के ऊपर लगाया जाता है।
गिलोय की नियमित खुराक अधिक से अधिक एक बार में एक चम्मच है, जिसे दिन में दो बार नियमित तौर पर लिया जाता है। समस्यायों के आधार पर इसके खुराक का इस्तेमाल अलग अलग भी किया जा सकता है।
गिलोय का जूस कैसे तैयार करें?
गिलोय की लकड़ी के फायदे जानने के बाद आइए जानते हैं कि गिलोय जूस के फायदे क्या होते हैं और उसको कैसे तैयार किया जा सकता है। गिलोय का जूस बनाने के लिए आपको पौधे की कुछ साफ, कटी हुई छोटी छोटी टुकड़ों की जरूरत होती है। इन कटी हुई शाखाओं के टुकड़े को एक कप पानी के साथ बहुत बारीक और लिक्विड पेस्ट में ब्लेंड कर सकते हैं। अब ग्रीन पेस्ट को छानकर गिलोय का जूस भी आप पी सकते हैं।
गिलोय से होने वाला स्वास्थ्य लाभ
गिलोय एक बहुत ही मजबूत इम्युनिटी बूस्टर, एंटी-टॉक्सिक, एंटीपीयरेटिक (जो बुखार को कम करता है।), एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। यह दवा हरेक बीमारी का इलाज है बस इसके सही इस्तेमाल की जरूरत है। गिलोय का निम्नलिखित लाभ हो सकता है –
1.पुराने बुखार के लिए गिलोय का इस्तेमाल
आयुर्वेद में बुखार के दो कारण माने जाते हैं- अमा (यानि शरीर में खराब पदार्थों के कारण आनेवाला बुखार) और दूसरा कुछ बाहरी कारणों और कई समस्याओं के कारण आनेवाला बुखार। गिलोय कई पुराने और बार-बार होने वाले बुखार में बहुत अच्छा काम करता है। यह एक ऐसी जड़ी बूटी है जो हमारी प्रतिरक्षा तंत्र को बहुत मजबूत करती हैं और बीमारियों से लड़ने में हमारी सहायता करते हैं। गिलोय का सेवन करने से व्यक्ति की जल्दी ठीक होने की उम्मीद होती हैं। गिलोय में एक ऐसा गुण होता है जोकि बुखार से लड़ने में सहायक होता है। ये बुखार को खत्म करने का काम करता है।
गिलोय का कैसे इस्तेमाल करे – दो से तीन बड़े चम्मच गिलोय का रस और इतना ही पानी लें। इन्हें अच्छी तरह से मिला लें। इस बनाए हुए पानी को रोजाना सुबह सुबह खाली पेट पिएं।
2. डेंगू बुखार के लिए गिलोय
गिलोय एक ज्वरनाशक जड़ी बूटी है। यह डेंगू बुखार में प्लेटलेट काउंट में सुधार करता है और जटिलताओं की संभावना को कम करता है। गिलोय के नियमित सेवन से डेंगू के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है और शीघ्र स्वस्थ होने में भी मदद मिलती है। बेहतर परिणाम के लिए गिलोय के रस को तुलसी के कुछ पत्तों के साथ उबालें और प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए गिलोय का रस जरूर पिएं।
इसका कैसे करें इस्तेमाल- गिलोय के ताजे डंठल का रस निकालकर उसमें 5-7 तुलसी के पत्ते मिलाकर 1/2 कप पानी में उबालकर रोजाना पीएं जिससे आपको लाभ मिल सके। यह प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में बहुत मदद करता है।
3.हे फीवर के लिए गिलोय
गिलोय हे फीवर में बहुत ही उपयोगी होता है जिसे एलर्जिक राइनाइटिस भी कहा जाता है। यह बहती हुई नाक, छींकने या फिर नाक में रुकावट और साथ ही आंखों से पानी आना जैसे लक्षणों को कम करता है। तापमान को कम करने के लिए आधा चम्मच गिलोय पाउडर को शहद के साथ मिलाकर खाने से पहले जरूर खाएं।
इसका कैसे करें इस्तेमाल- तापमान कम करने के लिए आधा चम्मच गिलोय पाउडर को शहद के साथ मिलाकर खाने से पहले खाएं।
4.कोरोना-वायरस इन्फेक्शन के लिए गिलोय का इस्तेमाल
गिलोय हमारे शरीर में लड़ने की क्षमता को बहुत अधिक बढ़ा सकता है इसलिए यह कई तरह के बुखारों के लिए और साथ ही विशेष रूप से कोरोना इन्फेक्शन जैसे वायरल बुखार के लिए भी उपयोगी हो सकता है। हालांकि इस बात पर अभी तक कोई वेरिफाइड रिसर्च नहीं हुआ है कि गिलोय कोरोना इंफेक्शन को ठीक कर सकता है या नहीं लेकिन इससे लड़ने के लिए यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को जरूर बढ़ा सकता है। कई रिसर्च में पता चला है कि कोविड इंफेक्शन को रोकने के लिए गिलोय का इस्तेमाल किया जा सकता है और इससे एक आशा जरूर मिली है।
गिलोय का कैसे करें इस्तेमाल- गिलोय काढ़ा या गिलोय का जूस आप दिन में दो बार ले सकते हैं और वो भी 4-6 हफ्ते तक ले सकते हैं। lकुछ रिसर्चों से पता चलता है कि गिलोय और अश्वगंधा को मिलाकर आपको इस घातक इन्फेक्शन से बचा सकता है।
5.ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखना
आयुर्वेद में गिलोय को ‘मधुनाशिनी’ के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है शुगर को नष्ट करने वाली दवा। यह इंसुलिन के उत्पादन को बहुत अधिक बढ़ाने में मदद करता है जोकि अंतत: ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है। गिलोय शुगर की जटिलताओं जैसे कि अल्सर, गुर्दे की समस्याओं के लिए भी बहुत अधिक उपयोगी है।
इसका इस्तेमाल कैसे करें – 1/2 चम्मच गिलोय पाउडर दिन में दो बार लंच और डिनर के बाद पानी के साथ लें।
6.इम्युनिटी को बढ़ाने का काम करता है।
गिलोय नामक यह जड़ी बूटी हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एक्टिव कर देती है और एक व्यक्ति के जीवन की शक्ति को बहुत अधिक बढ़ा देती है। गिलोय का रस या काढ़ा अपने आहार में दिन में दो बार शामिल करें, इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में बहुत अधिक सुधार हो सकता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और शरीर से खराब पदार्थों को भी बाहर निकालने में बहुत अधिक मदद करता है। गिलोय का रस आपकी त्वचा को डिटॉक्सीफाई भी करता है और आपकी त्वचा को भी बहुत अधिक निखारता है। गिलोय का उपयोग लीवर की बीमारियों, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और दिल से जुड़ी समस्याओं के लिए भी किया जाता है।
इसका कैसे इस्तेमाल करे – 2-3 चम्मच गिलोय का रस लें। इसमें इतना ही पानी डालकर मिला लें। रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए दिन में एक या दो बार भोजन से पहले इसे जरूर पियें।
7.पाचन में सुधार
गिलोय पाचन तंत्र में भी बहुत अधिक सुधार करता है और पाचन संबंधी समस्याओं जैसे दस्त, कोलाइटिस, उल्टी, एसिडिटी आदि को बहुत अधिक कम करता है।
इसका कैसे करें इस्तेमाल- आधा चम्मच गिलोय पाउडर को 1 गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में दो बार जरूर लें।
8. तनाव और चिंता को कम करता है?
मानसिक तनाव और चिंता को कम करने के लिए गिलोय एक बहुत ही बेहतरीन उपाय होता है। यह हमारे शरीर को बहुत अधिक शांत कर देता है। गिलोय हमारे शरीर में याददाश्त जैसे कामों को भी बढाने का भी काम करता है।
गिलोय का कैसे करें इस्तेमाल – 2-3 चम्मच गिलोय का रस और उतनी ही मात्रा में पानी जरूर पी लें। इसे दिन में एक बार सुबह खाली पेट जरूर पियें।
गिलोय के दुष्प्रभाव
सामान्य तौर पर देखें तो गिलोय नामक इस जड़ी बूटी का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। हालाँकि, जब भी गिलोय को अन्य मधुमेह की दवाओं के साथ लिया जाता है तो इससे ब्लड शुगर का स्तर बहुत कम हो सकता है।
गिलोय हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बहुत अधिक एक्टिव करने का कारण बन सकता है जो कि ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे के लक्षणों या कार्यों को निष्क्रिय या खराब कर सकता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है अभी इस बात का आकलन नहीं किया जा सका है इसलिए आप सावधानी बरतते हुए गर्भधारण के दौरान गिलोय का इस्तेमाल न करें।