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चिकनगुनिया के लक्षण

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चिकनगुनिया का वायरस मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है। सामान्यतः इससे बुखार और जोड़ों में दर्द होता है।  यह बहुत कम घातक है पर इसके लक्षण गंभीर और लंबे समय तक चलने वाले होते है करने वाले हो सकते हैं।

यह सामान्यतः उष्णकटिबंधीय बीमारी के रूप में जाना जाता है पर अब यह विश्व के सभी देशों में पाया जाता है। यह लेख चिकनगुनिया वायरस, इसके कारणों, लक्षणों, उपचार और इसके निदान पर चर्चा करेगा। इसमें वायरस से बचने के तरीकों के बारे में भी बताया जाएगा।

 चिकनगुनिया वायरस मुख्यत: संक्रमित मादा मच्छर के काटने से होता है।  सामान्य तौर पर देखें तो यह संक्रामक नहीं माना जाता है;  हालाँकि, दुर्लभ मामलों में पाया गया है कि वायरस संक्रमित व्यक्ति के रक्त के  माध्यम से भी फ़ैल सकता है।

चिकनगुनिया के लक्षण

चिकनगुनिया के लक्षण और इलाज की बात करें तो चिकनगुनिया का वायरस एक ऐसे बुखार का कारण बनता है जो कुछ दिनों तक रहता है और इसकी वजह से जोड़ों में दर्द होता है जो सप्ताह या महीनों तक रह सकता है।

 चिकनगुनिया के लक्षण डेंगू बुखार जैसे अन्य रोगों के ही समान हैं।  मच्छर के द्वारा किसी व्यक्ति को काटे जाने के कुछ ही दिनों बाद लक्षण दिखाई देते हैं।  चिकनगुनिया के लक्षण में सबसे आम हैं:

  •  बुखार (कभी-कभी 104 ° F जितना अधिक होता है)
  •  जोड़ों का बहुत तेज दर्द होता है।
  •  तेज सरदर्द का होना
  •  मांसपेशियों में तेज दर्द होना
  •  जोड़ों के आसपास सूजन का महसूस होना
  •  मतली और उल्टी भी हो सकती है।

चिकनगुनिया का निदान

 केवल ब्लड टेस्ट से ही चिकनगुनिया का पता चल सकता है क्योंकि लक्षण किसी अन्य बीमारी के भी हो सकते है।

 डेंगू और चिकनगुनिया के बुखार को जल्द से जल्द नियंत्रित करना महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि नियंत्रित न होने पर मृत्यु दर  50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है इसलिए लक्षण दिखने पर तुरन्त डॉक्टर के पास जाना चाहिए और ब्लड टेस्ट करवाकर बुखार को नियंत्रित करनेवाली दवाइयां लेनी चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति ने हाल ही में एक ऐसे क्षेत्र का दौरा किया है जहाँ ये दोनों ही बीमारियाँ आम हैं और उनमें ऊपर बताए गए लक्षण दिख रहे हैं तो उन्हें जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाना चाहिए

चिकनगुनिया का इलाज

चिकनगुनिया के लक्षण और इलाज में इलाज की बात करें तो देखा गया है कि यह वायरस शायद ही कभी घातक होता है, लेकिन लक्षण गंभीर और और वो आपको कमज़ोर कर सकते हैं।  अधिकांश रोगी एक सप्ताह के भीतर बुखार से ठीक हो जाते हैं, लेकिन जोड़ों के दर्द महीनों तक रह सकता है। जोड़ों का दर्द तो एक साल तक रह सकता है। इसके 20 प्रतिशत रोगियों में जोड़ों का दर्द दुबारा भी हो सकता है।

 चिकनगुनिया के इलाज के लिए कोई विशिष्ट दवा नहीं है;  डॉक्टर बस आराम करने और बहुत सारे तरल पदार्थ लेने की सलाह देते हैं।

 ओवर-द-काउंटर दवाएं बुखार और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करती है। ओवर-द-काउंटर दवाईयों में शामिल है:

  •  नेपरोक्सन
  •  आइबुप्रोफ़ेन
  •  एसिटामिनोफ़ेन

 लंबे समय तक होने वाले दर्द में फिजियोथेरेपी मददगार साबित हो सकती है।

चिकनगुनिया का टीका

 वर्तमान में चिकनगुनिया का कोई टीका या एंटीवायरल उपचार नहीं है लेकिन सामान्य तौर पर रोग बहुत कम समय के लिए होता है और शायद ही कभी घातक होता है। इसके इलाज दवा के बजाय लक्षणों को खत्म करने पर ध्यान दिया जाता है।  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थट्रस्टेड सोर्स (एनआईएच) वर्तमान में एक चिकनगुनिया वैक्सीन के चरण 2 का परिक्षण कर रहा है। 

चिकनगुनिया की जटिलताएं

 इसकी जटिलताओं में शामिल हो सकते हैं:

  •  यूवाइटिस – इसमें भीतरी रेटिना, श्वेतपटल और कॉर्निया से बनी बाहरी परत के बीच आंख में  सूजन हो सकती है।
  •  रेटिनाइटिस – रेटिना में सूजन
  •  मायोकार्डिटिस – हृदय की मांसपेशियों में सूजन
  •  हेपेटाइटिस – यकृत में सूजन
  •  नेफ्राइटिस – गुर्दे में सूजन
  •  खून का बहना
  •  मेनिंगोएन्सेफलाइटिस – मस्तिष्क की झिल्ली में सूजन और मस्तिष्क के आस-पास के टिश्यू में सूजन।
  •  मायलाइटिस – रीढ़ की हड्डी में सूजन।

चिकनगुनिया से बचाव

 चिकनगुनिया के फैलने का प्रमुख कारण मच्छर के काटने से होता है। रोकथाम के सबसे अच्छे तरीकों में मच्छरों के साथ संपर्क को कम करना शामिल है।  चिकनगुनिया से बचाव के लिए जो कदम उठाए जा सकते हैं उनमें शामिल हैं:

  • त्वचा और कपड़ों पर पिकारिडिन मिला हुआ कीड़ों को दूर रखने वाली दवाई का उपयोग करना जिससे मच्छर शरीर से दूर रहे।
  •  पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनना जिससे मच्छर और त्वचा का संपर्क न हो सके।
  •  जितना संभव हो सके सुबह और शाम को घर के अंदर रहना ताकि मच्छर से बहुत कम सम्पर्क होने का मौका हो।
  •  जहां डेंगू और चिकनगुनिया के अधिक मामले आते हों उन जगहों कि यात्रा करने से बचना चाहिए क्योंकि यात्रा करने से चिकनगुनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
  •  नींबू नीलगिरी या पीएमडी के तेल वाले उत्पादों का उपयोग करना प्रभावी हो सकता है और इन्फेक्शन से बचा सकता है। 
  • एयर-कंडीशनिंग का उपयोग करना चाहिए क्योंकि  एयर कंडीशनिंग मच्छरों को कमरे में आने से रोकता है और चिकनगुनिया होने की सम्भावना को कम करता है।
  •  मच्छरदानी के नीचे सोना चाहिए क्योंकि मच्छरदानी मच्छर दानी मनुष्य और व्यक्ति के बीच दीवार का काम करती है।
  •  मच्छर कॉइल और कीटनाशक वेपोराइज़र का उपयोग करना क्योंकि इनकी खुशबू और धुएं से मच्छर कमरे में नहीं आते हैं और बिमारी होने का खतरा कम हो जाता है।

हालांकि चिकनगुनिया बहुत ही कम घातक होता है और जान जाने का खतरा बेहद कम होता है लेकिन इसके लक्षण परेशान कर सकते हैं और लंबे समय तक बने रह सकते हैं। चिकनगुनिया के लक्षण और रोकथाम पर ध्यान देने की विशेष जरूरत है। इससे बचने का एक ही तरीका है कि हम अपने आसपास साफ सफाई का ध्यान रखें ताकि मच्छर न आ सकें और साथ ही ऊपर बताए गए तरीकों का इस्तेमाल करें।

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