चेचक के लक्षण
चेचक क्या होता है?
चेचक एक बहुत ही गंभीर और जानलेवा बीमारी है जो कि वेरोला वायरस के कारण होती है। चेचक में स्क्रीन पर फफोले पड़ते हैं जिसमें की मवाद हो सकता है। 1980 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने घोषणा की थी कि चेचक का बड़े पैमाने पर सफाया कर दिया गया है। 1970 के दशक के उत्तरार्ध से, चेचक के किसी भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है पर यह विश्व के कई अन्य देशों में अभी भी पाया जाता है।
जब यह सामुदायिक रूप में फैलता था तो इस बीमारी से लाखों लोग मारे गए क्योंकि यह बहुत ही तेजी से फैलता था। चेचक का टीका लगवा कर चेचक के लक्षण या चेचक से बचा जा सकता है पर डॉक्टर इसको लगाने की सलाह नहीं देते हैं क्योंकि इस टीके के दुष्प्रभाव भी पाए गए हैं।
चेचक होना कितना आम है ?
समुदाय के स्तर पर चेचक का सफाया होने के बाद से सामुदायिक स्तर पर फैलने का इसका कोई भी मामला सामने नहीं आया है। इससे पहले चेचक एक बहुत ही जानलेवा बीमारी मानी जाती थी। हर साल लाखों लोगों को चेचक हुआ करता। 30% तक लोग इस बीमारी से मर जाते थे। इस बीमारी से मौत इसलिए होती थी क्योंकि इंफेक्शन शरीर में बहुत तेजी से फैल जाता था या फिर इंफेक्शन के कारण खून ही बहुत अधिक जहरीला हो जाता था। देखा जाए तो चेचक एक बहुत ही इंफेक्टेड बीमारी है, जोकि 80% लोगों को प्रभावित कर सकती है। अक्सर, जो लोग इस बीमारी से लंबे समय तक जूझते थे उन्हें कई अन्य तरह की बीमारियां हो जाती थी।
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह बीमारी पहली बार तीसरी शताब्दी में सामने आई थी। हजारों सालों से चेचक पूरी दुनिया में फैला हुआ है और कई लोगों को नुकसान पहुंचा रहा है। 1960 के दशक में, WHO ने चेचक को खत्म करने के लिए विश्वव्यापी प्रयास को शुरू किया जिसमें उसे काफी हद तक सफलता भी मिली।
क्या चेचक वापस हो सकता है?
वैज्ञानिकों ने वेरियोला वायरस जोकि चेचक होने का कारण बनता है के कुछ नमूनों को बचाया ताकि वे इससे जुड़े टीकों और दवाइयों के बारे में शोध कर सके। दुनिया में केवल दो जगहों पर ही इस वायरस के नमूने पाए हैं। इस वायरस के नमूने अटलांटा में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) और रूस में स्टेट रिसर्च सेंटर ऑफ वायरोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी (वेक्टर इंस्टीट्यूट) में पूरी तरह से सुरक्षित रखें हुए हैं।
क्योंकि चेचक अब सामान्य तौर पर नहीं होता है तो इसलिए अब सभी देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कहीं इसका इस्तेमाल जैविक युद्ध के रूप में ना किया जाए। अभी वर्तमान में इस तरह के इस्तेमाल का कोई खतरा नहीं है। चेचक से बचाव के लिए बड़ी मात्रा में टीकों का निर्माण किया जा चुका है।
चेचक के लक्षण क्या हैं?
चेचक के लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देता हैं। वेरियोला वायरस के संपर्क में आने के बाद लगभग 7 से 14 दिनों तक इससे प्रभावित कोई भी व्यक्ति बीमार नहीं दिखता या वो बीमारी महसूस नहीं करता है। इतना वक्त बीत जाने के बाद किसी व्यक्ति में लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते हैं।
चेचक के लक्षण या इसके शुरूआती चेचक के लक्षण निम्नलिखित हैं –
- बहुत तेज बुखार का होना
- मांसपेशियों में तेज दर्द का होना
- बहुत अधिक पीठ दर्द का होना
- सिरदर्द और उल्टी की समस्या का होना
चेचक के शुरुआती दाने: शुरूआती चेचक के लक्षण के बाद, पूरे शरीर पर दाने दिखाई देने लगते हैं। इस स्टेज के दौरान व्यक्ति सबसे अधिक इंफेक्टेड होता है। बात करने, छींकने या खांसने से वायरस बहुत आसानी से फैल सकता है। चेचक के शुरुआती स्टेज के दौरान:
- जीभ और मुंह के साथ गले के अंदर दाने बनने शुरू हो जाते है। मुंह में लाल धब्बे जैसे घाव बन जाते हैं, जोकि टूट कर फूट जाते हैं।
- दाने चेहरे के साथ साथ हाथ, पैर, पीठ और गले तक फैल जाते हैं। यह दाने हथेलियों और तलवों सहित पूरे शरीर में फैलने में लगभग एक दिन का समय लेते है।
- स्किन में हो रहे दानों पर मवाद जमने लगता है।
चेचक का क्या कारण होता है या फिर ये कैसे फैलता है?
वेरियोला वायरस चेचक होने का कारण बनता है। देखा जाए तो पहले लोग आमतौर पर दूसरों के साथ सीधे या लंबे समय तक आमने-सामने से संपर्क करते थे जिसके वजह से चेचक फैल जाता था। इंफेक्टेड व्यक्ति जब भी छींकता या खांसता था, तो वो हवा के माध्यम से कणों को आगे भेजने का काम करता था। जब कई अन्य तरह के लोग या स्वस्थ लोग इंफेक्टेड बूंदों के संपर्क में आते थे तो वो इंफेक्टेड हो जाते थे।
अगर आप इंफेक्टेड व्यक्ति का चादर, तौलिये और कपड़े बांट रहें हैं तो उसे बांटकर भी आप एक दूसरे में वायरस को फैलाने का काम करते हैं। यह बीमारी सबसे अधिक इंफेक्टेड होती है जब आप पहली ही बार में आपके गले और मुंह में घाव दिखाई देने लगते हैं। लेकिन चेचक से पीड़ित व्यक्ति पहले घावों के विकसित होने के बाद कई हफ्तों तक इंफक्टेड रहता है और इन्फेक्शन पहुंचा सकता है।
क्या चेचक का इलाज दवा से किया जा सकता है?
क्या चेचक के लक्षण का कोई इलाज नहीं है। शोधकर्ताओं का मानना है कि कुछ एंटीवायरल दवाएं हैं जो इस बीमारी को कम कर सकती है या इसकी गंभीरता को खत्म कर सकती हैं। पर कई लोगों को यकीन नहीं है कि ये दवाएं इतना ज्यादा असरदार होंगी और लोगों पर पूरी तरह से असर करेंगे इसलिए वो अभी इसके बारे में आश्वस्त नहीं हुए हैं।
क्या चेचक को रोकने के लिए टीका बन गया है ?
हालांकि हाल फिलहाल बने टीके लोगों को चेचक से बचा सकते हैं, लेकिन वे आम जनता के लिए अभी वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं। केवल वेरोला वाले लैब में काम करने वाले लोगों को ही ये टीका लगवाना चाहिए ताकि वो इससे सुरक्षित बचे रह सकें। इसके लिए निर्मित टीका आमतौर पर सुरक्षित है। लेकिन इससे हाल फिलहाल कई गंभीर दुष्प्रभाव भी हुुए जैसे कि ह्रदय के धड़कन का रुकना या फिर मृत्यु का हो जाना।
अगर आज किसी को चेचक हो गया है या चेचक के लक्षण दिख रहें हैं तो कई एंटीवायरल दवाएं बीमारी की गंभीरता को बहुत कम कर सकती हैं। पर चेचक अभी पूरी दुनिया से नहीं गया है इसलिए उससे बचकर और संभल कर रहने की जरूरत है।