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दालचीनी के फायदे

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दालचीनी-

दालचीनी एक औषधीय पौधा है। इसे संस्कृत में दारुशिला व त्वाक कहा जाता है। इस पौधे की छाल का उपयोग मसालों दवाइयों इत्यादि में किया जाता है। दालचीनी का रंग सफेद व कुछ-कुछ पीलापन लिए होता है। इसकी छाल पतली व कोमल होती है तथा बेहद सुगन्धित होती है। दालचीनी मुख्यत: 2 प्रकार की होती है –

रेग्युलर सिनमन या कैशीअ (Cassia)- यह दालचीनी आमतौर पर भारतीय घरों में इस्तेमाल की जाती है। इसका स्वाद अधिक तीखा होता है और यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है।

सीलोन(Ceylon) दालचीनी- इस दालचीनी का उपयोग मुख्यत: दवाइयों में किया जाता है। यह अपेक्षाकृत कम तीखी होती है परन्तु अधिक महंगी होती है।

दालचीनी में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी सी, मैग्नेशियम व फाइबर पाया जाता है जिसके कारण इसका महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

दालचीनी के फायदे

मधुमेह में फायदेमंद

दालचीनी मधुमेह के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है और इसके सेवन से मधुमेह को नियंत्रण में रखा जा सकता है। दालचीनी ग्लूकोज के उत्सर्जन में कमी करती है तथा इन्सुलिन को बढ़ाने का कार्य करती है। दालचीनी को गरीबों का इन्सुलिन भी कहा जाता है। पॉलीफेनॉल्स सीरम दालचीनी में पाई जाती है जो ग्लूकोज और इंसुलिन को कम करके डायबिटीज के खतरे से बचाव करते हैं(1)। विभिन्न शोधों में भी यह सिद्ध हो चुका है कि दालचीनी वाला दूध खासतौर पर टाइप 2 मधुमेह के रोगियों में बेहद फायदेमंद है। कहा जा सकता है कि भोजन में दालचीनी का सेवन करने से मधुमेह को काबू में रखा जा सकता है।

मानसिक क्षमता में विकास

दालचीनी का सेवन करने से मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है और अल्जाइमर व पर्किंसन

जैसी बीमारियों से निजात पाया जा सकता है (2)।

दालचीनी को सूंघने से ही मस्तिष्क पर सकारात्मक असर पड़ता है और दैनिक कार्यों को भूलने की बीमारी से छुटकारा पाया ज सकता है। दालचीनी में पाए जानेवाला फाइटोकेमिकल्स ग्लूकोज का उपयोग कर दिमाग की क्षमता में वृद्धि करता है। दालचीनी ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने का काम करती है जिससे मस्तिष्क स्वस्थ व तरोताजा रहता है। दालचीनी का सेवन से सोडियम बेंजोएट के कारण सीखने कि क्षमता में भी बढ़ोतरी करता है और याददाश्त को बढ़ा देता है।

दिल के लिए फायदेमंद

आधुनिक समय में दिल की बीमारी एक घातक बीमारी के रूप में सामने चुकी है जिसमें जान जाने का ख़तरा हमेशा रहता है। दिल के बीमारी का मुख्य कारण हमारी आसंतुलित दिनचर्या व फास्ट फूड है। शहद और दालचीनी के सेवन से दिल के दौरे की संभावनाओं में कमी लाई जा सकती है। दालचीनी व शहद को बराबर मात्रा में मिलाकर खाने से कोलेस्ट्रॉल में कमी आती है और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। एक शोध में यह दावा किया है कि छह ग्राम दालचीनी का सेवन करने से एलडीएल, सीरम ग्लूकोज, ट्राइग्लिसराइड (रक्त में मौजूद एक तरह का फैट) और कुल कोलेस्ट्रोल की मात्रा (स्तर) में कमी आती है और हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है(3)।

सिनामलडिहाइड जो कि कैसिया दालचीनी में पाया जाता है के गुणों में हृदयघात के प्रतिरोधी के रूप में भी काम करना शामिल है।

कैंसर के खतरे में कमी

कैंसर आज के समय  में एक विश्व स्तरीय वा खामोशी की तरह खत्म कर देने वाली बीमारी बन चुकी है जिसका इलाज बेहद कष्टदायक और खर्चीला होता है। दालचीनी एंटी कैंसर के रूप में काम करती है तथा कैंसर होने की संभावनाओं को कम करती है। एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, 

एपोप्टोसिस-इंडयूसिंग गतिविधि, एंटी-प्रोलिफेरेटिव जैसे तत्व दालचीनी में पाया जाता है जो एंटी कैंसर होने के कारण कैंसर के खतरे को कम करती है। इन तत्वों के योग से कैंसर कोशिकाओं का फैलाव रुकता है(4)। जानवरों पर किए गए शोध भी यह बताते हैं कि कैंसर से लड़ने में दालचीनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। त्वचा से होने वाले कैंसर में दालचीनी दीवार की भूमिका निभाती है और उसे रोकने का काम करती है।

एचआईवी (HIV) में सहायक

एचआईवी जैसा रोग मनुष्य के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है और शरीर पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लेता है। HIV का समुचित इलाज न करवाने पर ये एड्स बन जाता है जो जानलेवा साबित हो सकता है। अधिकतर मनुष्य HIV-1 से पीड़ित होते है। प्रोजेनिडिन पॉलीफेनोल तत्व दालचीनी में पाया जाता है जो एचआईवी टाईप- 1 के लिए प्रतिरोधक का काम करता है एवं उसके प्रभावों को कम करता है(5) अपने इसी वजह से यह दवाईयों में भी इस्तेमाल किया जाता है। 

मोटापा घटाने में सहायक

मोटापा वर्तमान में एक वैश्विक बीमारी बन चुका है जो विश्व तीसरे व्यक्ति को अपने चपेट मै ले चुकी है। दालचीनी का सेवन करने से मोटापे से छुटकारा पाया जा सकता है। दालचीनी का काढ़ा बनाकर उसमें शहद मिलाकर रोजाना सेवन करने से वजन कम होता है और मोटापे की समस्या से निजात मिलती है। दालचीनी में मौजूद एंटी-ओबेसिटी प्रभाव और इसमें मौजूद कई अन्य तत्व मोटापे को कम कर करते हैं (6)।

दालचीनी इंसुलिन को संवेदनशील करता है और इंसुलिन का काम खून में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करना हैै। ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने से मोटापा, मधुमेह सहित कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इन सभी बीमारियों से लड़ने में दालचीनी बेहद महत्वपूर्ण औषधि है।

दांतो की सेहत के लिए लाभदायक

दालचीनी दांतों के लिए बेहद फायदेमंद है यह कैविटी की समस्या से निजात दिलाती है। दालचीनी का टुकड़ा चबाने से मुंह की बदबू को दूर करता है और दांतों को मजबूत करता है। दालचीनी का तेल भी बनता है और वह तेल स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स नामक बैक्टीरिया को खत्म करता है। स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स बैक्टीरिया कैविटी के अधिकांशतः जिम्मेदार होता है दालचीनी में मिलने वाला एंटी-बैक्टेरियल गुण दांत सहित सम्पूर्ण मुंह को बैक्टीरिया से मुक्त करता है और साथ ही दालचीनी मुंह के असहनीय दर्द से आराम दिलवाती है( 7)।

चेहरे के लिए उपयोगी

दालचीनी चेहरे की चमक को बरकरार रखती है। यह चेहरे पर आए मुहांसों को हटाने के लिए बहुत लाभकारी होती है। यह त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने, रूखापन व सूखापन कम करने का काम करती है। दालचीनी त्वचा के छिद्रों को खोलकर ऑक्सीजन भी पहुंचाती है। तीन चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी का लेप बनाकर उसे मुहांसों पर 20-25 मिनट लगाने के बाद चेहरे को साफ कर लेना चाहिए इससे मुहांसों को खत्म किया जा सकता है।

बालों के लिए लाभदायक

दालचीनी बालों की सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। दालचीनी बालों को मजबूती प्रदान करती है। दालचीनी के पेड़ों की पत्तियों के सेवन से बाल  स्वस्थ व घना बनते हैं। पत्तियों को पीसकर उसे बालों पर लगाया जाता है या पत्तियों को उबालकर काढ़ा बनाकर उससे बालों को धुला जाता है।

सांस की बीमारी में फायदेमंद

दालचीनी श्वसन की बीमारी में बेहद लाभदायक है। ब्रोंकाइटिस नामक बीमारी में दालचीनी के सेवन आराम मिलता है। बीमारी के मुख्य लक्षणों में सांस लेने में परेशानी व सांस नली में सूजन है। दालचीनी के नियमित सेवन करने से व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है।

दालचीनी के नुकसान

लीवर को नुकसान

दालचीनी के अति उपयोग से लीवर की समस्या हो सकती है। अधिक मात्रा में लीवर का सेवन करने से लीवर को क्षति पहुंच सकती है और वह खराब हो सकता है।

एलर्जी

कई लोगों को दालचीनी खाने से एलर्जी होती है इसलिए उन्हें दालचीनी का सेवन नहीं करना चाहिए।

रक्तचाप में कमी

अधिक मात्रा में दालचीनी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर में कमी आ जाती है जिससे नुकसान पहुंच सकता है परन्तु संतुलित प्रयोग करने से उच्च रक्तचाप की कम किया जा सकता है।

दांतों पर बुरा प्रभाव

अति उपयोग से एसिडिक प्रकृति के कारण इसका दांतों पर बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है, इसलिए इसका इस्तेमाल सही तरीके से किया जाना चाहिए (8)

गर्भवती महिलाओं को नुकसान

गर्भवती महिलाओं को दालचीनी के सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह बच्चे व मां दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। स्तनपान कराने वाली मांओं को भी दालचीनी का कम सेवन करना चाहिए। 

उपाय

दालचीनी यदि नुक़सान कर रही हो तो उसका उपयो तुरन्त संतुलित कर देना चाहिए या बंद कर देना चाहिए और बार बार पानी पीना चाहिए जिससे पेशाब के द्वारा दालचीनी की मात्रा शरीर में कम हो जाती है और साथ ही उसका दुष्प्रभाव भी कम हो जाता।

कितना खाएं

हरेक वस्तु का सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए तभी वो स्वास्थ्य वर्धक होती है अन्यथा अति किसी भी चीज की नुक़सान पहुंचाती। दालचीनी का दैनिक सेवन 0.1 mg/kg से ज्यादा शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है।

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