पूर्णहृदरोध के लक्षण
पूर्णहृदरोध या कार्डिएक अरेस्ट दिल की एक गंभीर स्थिति होती है। यहां अरेस्ट शब्द का अर्थ है पूरी तरह से रुकना या रोकना। पूर्णहृदरोध में दिल धड़कना बंद कर देता है और इसे ही अचानक होने वाले कार्डियक डेथ के नाम से भी जाना जाता है।
इस दौरान आपके दिल की धड़कन विद्युत आवेगों के द्वारा पूरी तरह से नियंत्रित होती है। जब ये पैटर्न बदलते हैं तो दिल की धड़कन अनियमित सी हो जाती है और उसमें बहुत अधिक उतार चढ़ाव दिखने लगता है। इसे arrhythmia के नाम से भी जाना जाता है। कुछ arrhythmia बहुत धीमी होती है पर कई तो बहुत तेज होती हैं। पूर्णहृदरोध या कार्डिएक अरेस्ट तब होता है जब हृदय की लय लगभग पूरी तरह रुक जाती है।
पूर्णहृदरोध एक बेहद ही गंभीर स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है। कई रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट है कि हर साल संयुक्त राज्य अमेरिका में आधे मिलियन से अधिक लोग पूर्णहृदरोध के रुकने को महसूस करते हैं। होने वाली ऐसी स्थिति कई बार मृत्यु या फिर विकलांगता का भी कारण बन सकती है। और अगर आप या आपके साथ कोई व्यक्ति पूर्णहृदरोध के लक्षणों को महसूस कर रहा है, तो तुरंत आपातकालीन स्वास्थ्य सहायता लें या अपने पर्सनल डॉक्टर को दिखाएं। यह स्थिति बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकती है। इस बीमारी में किसी व्यक्ति का तुरंत इलाज करके या फिर तुरंत डॉक्टरी सहायता पहुंचा कर उसकी जान बचाई जा सकती है।
पूर्णहृदरोध होने के क्या कारण है?
पूर्णहृदरोध के लक्षण के कई ऐसे कारक हैं जो अचानक कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकते हैं। इन कारणों में सबसे आम वेंट्रिकुलर और एट्रियल फाइब्रिलेशन इत्यादि हैं।
वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन
किसी भी व्यक्ति के हृदय में चार रूम होते हैं। दो निचले रूम को निलय कहते हैं। वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन होने पर ये रूम नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं। इसकी वजह से हृदय की तरंगों में बहुत अधिक उतार चढ़ाव आता है। इसके निलय सही तरीके से पंप नहीं करते हैं और उसने असमानताएं आनी शुरू हो जाती हैं, जिससे शरीर के माध्यम से पंप किए जाने वाले ब्लड की मात्रा गंभीर रूप से कम हो जाती है। कई मामलों में ब्लड का संचार पूरी तरह से बंद हो जाता है। इससे अचानक हृदय के रुकने से व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है।
पूर्णहृदरोध का सबसे आम कारण वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन ही है। निचले रूम के बजाय ऊपरी रूम में arrhythmia के बाद हृदय अच्छे धड़कना बंद कर सकता है। इस रूम को अटरिया के नाम से भी जाना जाता है।
एट्रियल फिब्रिलेशन
एट्रियल फिब्रिलेशन तब शुरू होता है जब सिनोआट्रियल (एसए) नोड सही तरीके से विद्युत आवेग को अच्छे से नहीं भेजता है। इस समय आपका SA नोड दाहिने एट्रियल में पाया जाता है। यह इस बात को नियंत्रित करता है कि हृदय कितनी जल्दी जल्दी ब्लड को पंप करे। जब विद्युत आवेग एट्रियल फिब्रिलेशन में चला जाता है, तो निलय शरीर में ब्लड को बहुत अच्छे से पंप नहीं कर पाते हैं।
पूर्णहृदरोध का खतरा किसे है?
हृदय से जुड़ी कुछ बिमारियां और कई स्वास्थ्य कारक भी आपके पूर्णहृदरोध के जोखिम या पूर्णहृदरोध के लक्षण को बहुत अधिक बढ़ा सकते हैं।
बड़ा दिल का होना
असामान्य रूप से दिल बड़ा होने से आपको पूर्णहृदरोध का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। बड़ा दिल बहुत अच्छे नहीं धड़क सकता है। मांसपेशियों को भी नुकसान होने का खतरा इससे अधिक हो सकता है।
नियमित रूप से हृदय के वाल्व के न होना
वाल्व से जुडा रोग हृदय वाल्वों को लीक या फिर बहुत अधिक संकरा बना सकता है। इसका सामान्य सा मतलब यह है कि हृदय के माध्यम से ब्लड सभी रूमों में बहुत अधिक भर जाता है या बिल्कुल भी नहीं भरता है।
जन्मजात हृदय रोग का होना
कुछ लोग दिल की बिमारी जन्म के साथ ही होती हैं। इसे जन्मजात हृदय समस्या के रूप में जाना जाता है। दिल की गंभीर समस्या के साथ पैदा हुए बच्चों में अचानक पूर्णहृदरोध हो सकता है।
पूर्णहृदरोध के लक्षण या उसके अन्य जोखिम कारकों में शामिल हैं:
- धूम्रपान
- खराब जीवन शैली
- उच्च रक्त चाप का होना
- मोटापा बहुत अधिक होना
- हृदय रोग का आनुवांशिक रूप
- दिल के दौरे का पुराना इतिहास
पूर्णहृदरोध के लक्षण
पूर्णहृदरोध के लक्षण कई शुरूआती होते हैं और अक्सर चेतावनी के हो संकेत होते हैं जो बताते हैं कि हमें पूर्णहृदरोध होने वाला है। पूर्णहृदरोध होने से पहले इलाज कराने से आपकी जान बच सकती है।
यदि आप पूर्णहृदरोध में हैं, तो आप निम्न लक्षणों का सामना कर सकते है:
- चक्कर का आना
- सांस की कमी का होना
- थका हुआ या कमजोर महसूस करना
- उलटी करना
- दिल की धड़कन का बढ़ना
अगर आप निम्न लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलने की जरूरत है:
- छाती में दर्द का होना
- नाड़ी में समस्या
- सांस नहीं ले पाना या सांस लेने में कठिनाई
- बेहोशी का होना
पूर्णहृदरोध का निदान
पूर्णहृदरोध के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर इसके बारे में जानने के लिए आपसे कई टेस्ट करवा सकता है जिससे उसे पता चल सके हैं क्या आपको पूर्णहृदरोध हुआ या नहीं अथवा आपका दिल कितना काम कर रहा है। डॉक्टर ब्लड टेस्ट से लेकर एक्स-रे और ईसीजी भी करवा सकता है।
पूर्णहृदरोध का इलाज
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) कार्डिएक अरेस्ट के लिए एक इमरजेंसी इलाज है। डिफिब्रिलेशन को भी इमरजेंसी इलाज के रूप में जाना जाता है। दिल धड़कने से रुकने के बाद इन इलाजों से किसी व्यक्ति दिल फिर से धड़कने लगता है।
अगर आप पूर्णहृदरोध से बच जाते हैं, तो आपका डॉक्टर आपको एक या उससे अधिक समस्याओं का इलाज शुरू कर सकता है ताकि दूसरी बार इसके हमले के जोखिम को बहुत कम किया जा सके।
कई तरह की दवा हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकती है।
सर्जरी कई आंशिक रूप से खराब हो चुकी ब्लड सेलासर को या हृदय वाल्व की मरम्मत का काम कर सकती है। इसके माध्यम से धमनियों में रुकावट को बायपास या हटाया भी जा सकता है।
व्यायाम कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस में बहुत अधिक सुधार कर सकता है जिससे आपको पूर्णहृदरोध का खतरा कम हो सकता है।
खान पान में बदलाव करके आप अपने कोलेस्ट्रॉल को भी कम कर सकते सकते है। जीवन शैली में बदलाव आपको पूर्णहृदरोध के खतरे से भी बचा सकता है।