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फेफड़ों का कैंसर के लक्षण

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फेफड़े का कैंसर उस तरह का कैंसर है जो कि फेफड़ों में शुरू होता है। फेफड़े मनुष्य की छाती में दो स्पंजी अंग होते हैं जोकि सांस लेने पर ऑक्सीजन लेते हैं और जब कोई व्यक्ति साँस छोड़ता हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं। फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण बनता जा रहा है।

जो लोग धूम्रपान करते हैं उन्हें फेफड़ों का कैंसर के लक्षण दिखने या कैंसर होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। पर जरूरी नहीं कि फेफड़ों का कैंसर के लक्षण  या कैंसर सिर्फ उन्हें हो जो धुम्रपान करते हैं। फेफडों का कैंसर उन्हें भी हो सकता है जिन्होंने कभी भी धूम्रपान नहीं किया है। आप जितना अधिक धूम्रपान करेंगे वह खतरा उतना ही अधिक बढ़ता चला जाएगा। अगर आप धूम्रपान करना छोड़ देते हैं तो फेफड़ों के कैंसर के होने की संभावनाओं को आप बहुत कम कर देंगे। अगर आप पहले धूम्रपान करते थे और बाद में इसे छोड़ देते हैं तो भी आंशिक तौर पर आप फेफड़ों में कैंसर होने के खतरे को कम करते हैं। आइए फेफड़ें का कैंसर के लक्षण के बारे में जानते हैं।

फेफड़ों के कैंसर के लक्षण

सामान्य तौर पर देखा जाए तो फेफड़ों का कैंसर के लक्षण प्राथमिक स्तर पर नहीं दिखते हैं। यह लक्षण तब दिखते हैं जब यह कैंसर बहुत अधिक फैल जाता है और अधिक नुकसान पहुंचाने लगता है।  फेफड़ों का कैंसर के लक्षण में निम्नलिखित लक्षण शामिल हो सकते हैं:

  • ऐसी खांसी जिससे आराम न हो रहा हो
  • खांसी के साथ थोड़ी मात्रा में खून का आना
  • साँसों लेने में समस्या या सांसों में कमी
  • छाती में दर्द का होना
  • गले का बैठ जाना
  • बिना किसी प्रयास के अपने आप वजन का कम होना
  • हड्डी में दर्द का होना
  • सिरदर्द का बढ़ जाना

डॉक्टर को कब दिखाना है ?

फेफड़ें का कैंसर के लक्षण जाने के बाद आइए जानते हैं कि डॉक्टर को कब दिखाएं। आप अपने डॉक्टर को दिखाएं अगर आपको फेफड़े के कैंसर से जुड़े कोई लक्षण दिखाई देते हैं डॉक्टर द्वारा दी गई सलाखों पर काम करें और उनके निर्देशों का पालन करें।

अगर आप धूम्रपान करते हैं और उसे छोड़ नहीं सकते हैं तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आपका डॉक्टर धूम्रपान छोड़ने की कई तरीके बताएगा जैसे दवाएं और निकोटीन इत्यादि।

फेफडे के कैंसर के  कारण

धूम्रपान फेफड़ों के कैंसर होने का सबसे बड़ा कारण है – फेफड़ों का कैंसर उन्हें हो सकता है जो धूम्रपान करते हैं या उसके धुएं के सीधे संपर्क में आते हैं। पर फेफड़े का कैंसर उन लोगों को भी होता है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी धूम्रपान नहीं किया है ना वह सिगरेट के धुएं के संपर्क में आए। इस तरह के मामलों में फेफड़ों के कैंसर के कारणों का पता नहीं चल पाया है।

शुरुआत में मनुष्य का शरीर इससे होने वाले को नुकसान को ठीक करने का प्रयास करता है पर जब यह बहुत अधिक हो जाता है तो फेफड़ों की कोशिकाएं बहुत तेजी से क्षतिग्रस्त होने लगती है। जैसे जैसे समय बीतता जाता है ये कोशिकाए नुकसान करने लगती है और इनमें ही कैंसर बनने लगता है।

 फेफड़ों के कैंसर के प्रकार

 माइक्रोस्कोप से किए गए शोधों के अनुसार और फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं को आधार बनाकर डॉक्टर फेफड़ों के कैंसर को दो प्रमुख प्रकारों में बांटते है। आपको किस तरह के फेफड़े का कैंसर है इसको जानने के बाद ही डॉक्टर आपका इलाज करते है। फेफडों के कैंसर के सामान्य प्रकारों में निम्न बातें शामिल हैं –

स्मॉल सेल लंग कैंसर-

छोटे सेल के फेफड़ों का कैंसर अधिकतर बहुत अधिक धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में ही होता है और नॉन स्माल सेल का कैंसर बहुत कम लोगों को होता है।

नॉन स्मॉल सेल कैंसर-

 नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर कई तरह के फेफड़ों के कैंसर के लिए इस्तेमाल होने वाले सामान्य शब्द है। नॉन स्मॉल सेल के फेफड़ों के कैंसर में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, एडेनोकार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा शामिल हैं।

फेफड़े के कैंसर के जोखिम

कई ऐसे कारक हैं जो कि फेफड़ों के कैंसर के खतरे को बहुत अधिक बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए देखें तो धूम्रपान छोड़ने से कुछ जोखिम कारकों को नियंत्रण में किया जा सकता है पर अन्य कई जोखिम कारकों को नियंत्रण में नहीं किया जा सकता है जैसे कि आनुवांशिक तौर पर फेफड़ों के कैंसर होने के खतरे को।

 फेफड़ों के कैंसर के जोखिम कारकों में निम्नलिखित बातें शामिल हैं –

धूम्रपान करने से फेफड़ों के कैंसर का जोखिम  –

आगर आप हर दिन धूम्रपान करते हैं और हर दिन आपके सिगरेट की संख्या बढ़ती ही जा रही है तो आपको फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है और यह खतरा तब और अधिक बढ़ जाता है जब आप यह कई सालों से ऐसा कर रहे हो। अगर आप धूम्रपान को छोड़ने का निर्णय लेते हैं तो फिर फेफड़ों के कैंसर के होने का खतरा काफी कम हो सकता है।

रेडियेशन से होने वाले इलाज के कारण फेफड़ों के कैंसर का खतरा –

अगर आपने कभी सीने के आसपास रेडिएशन थेरेपी कराई है तो आपको फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

रेडॉन गैस के संपर्क में आने के कारण जोखिम का बढ़ना – रेडॉन मिट्टी, पहाड़ों या चट्टानों और पानी में यूरेनियम के नैचुरल तरीके से टूटने के कारण होता है जो कि बाद में हमारे द्वारा सांस लेने वाली हवा का हिस्सा ही बन जाता है। रेडॉन का खतरनाक स्तर घरों सहित किसी भी इमारत में स्वतः जमा हो सकता है।

एस्बेस्टस और अन्य कार्सिनोजेन्स के संपर्क में आने के कारण जोखिम का बढ़ना – एस्बेस्टस और कैंसर पैदा करने के लिए जाने जाने वाले कई अन्य पदार्थों – जैसे कि आर्सेनिक, क्रोमियम और निकल – के वर्कप्लेस के संपर्क में आने से आपको फेफड़ों के कैंसर होने के जोखिम बढ़ सकता है और अगर आप धुम्रपान अधिक करते हैं तो ये खतरा और भी बढ़ सकता है।

फेफड़ों के कैंसर का आनुवांशिक कारण –  जिन लोगों के माता-पिता, भाई-बहन भी फेफड़े के कैंसर से पीड़ित रह चुके हैं उन्हें भी फेफड़े के कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

फेफडों के कैंसर का निवारण

सामान्य तौर पर देखा जाए तो फेफड़ों के कैंसर को रोकने का कोई निश्चित तरीका तो नहीं बना है लेकिन कई तरीकों को अपनाकर आप इसके के जोखिम को बहुत अधिक कम कर सकते हैं –

 धूम्रपान करने से करें परहेज-

 अगर आपने कभी धूम्रपान यानी कि स्मोकिंग नहीं किया है तो उसे कभी भी शुरू ना करें अपने बच्चों को कहें कि वह कभी धूम्रपान ना करें ताकि वह समझ सके फेफड़ों के कैंसर होने के सबसे बड़े कारण से किस तरह खुद का बचाव करना है। अपने बच्चों को धूम्रपान के खतरों के बारे में जरूर बताएं और उन्हें से सचेत करें ताकि साथियों के दबाव डालने के बाद दिव्य धूम्रपान करने से बचें।

धूम्रपान करना बंद करें-

अगर आप धूम्रपान करते हैं तो आप धूम्रपान करना बंद कर दें धूम्रपान छोड़ने से आपके फेफड़ो के कैंसर का खतरा बहुत कम हो जाता है भले ही आपने पहले कितना भी धुम्रपान क्यों न किया हो। आप अपने डॉक्टर से धूम्रपान छोड़ने के बारे में बात करें और उनके द्वारा बताए गए उपाय को धूम्रपान छोड़ते समय जरूर अपनाएं। धूम्रपान छोड़ने में आपको निकोटीन और कई दवाएं साथ दे सकती है।

सेकेंड हैंड धुएं से भी बचें-

यदि आप धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के साथ रहते हैं या फिर उनके साथ काम करते हैं, तो आप उन्हें ये छोड़ने के लिए कहें। कम से कम आप उसे घर से बाहर या किसी खुले जगह पर धूम्रपान करने के लिए कहें। उन जगहों से बचे जहां लोग धूमरोआन करते हैं जैसे कि बार और रेस्तरां और साथ ही इन सभी चीजों से बचने की कोशिश करें।  

फलों और सब्जियों से भरपूर भोजन लें-

विभिन्न तरह के फलों और सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करें क्योंकि ये विटामिन और कई पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। ये उत्तम खाद्य पदार्थ हैं। आप गोली के रूप में विटामिन की बहुत अधिक खुराक लेने से बचें क्योंकि वो बहुत अधिक हानिकारक हो सकते हैं।

सप्ताह के अधिकांश दिनों में व्यायाम करें –

अगर आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं तो इसे धीरे धीरे करना शुरू कर दें। सप्ताह के अधिकतर दिनों में व्यायाम करने की कोशिश करें और खुद को स्वस्थ रखें।

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