ब्रेन कैंसर के लक्षण
ब्रेन ट्यूमर क्या है?
ब्रेन ट्यूमर दिमाग में या उसके आसपास कोशिकाओं की एकाएक वृद्धि को कहते है। इसे सेंट्रल नर्वस सिस्टम ट्यूमर भी कहा जाता है। ब्रेन ट्यूमर घातक कैंसर भी हो सकता या कैंसर नहीं भी हो सकता है। कई ट्यूमर बहुत जल्दी बढ़ते हैं और कई ऐसे ट्यूमर होते हैं जिनके बढने की गति बहुत धीमी होती हैं। केवल एक तिहाई ब्रेन ट्यूमर ही कैंसर वाले होते हैं। लेकिन वे कैंसर हों या न हो पर ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के कामों को प्रभावित कर सकता हैं। कभी कभी वे इतने बड़े हो जाते हैं कि आसपास की नसों, ब्लड सेल्स और टिश्यू पर प्रेशर डालने लगते हैं। दिमाग में विकसित होने वाले ट्यूमर को प्राइमरी ट्यूमर कहा जाता है। शरीर के किसी अन्य हिस्से में बनने के बाद मस्तिष्क में फैलने वाले ट्यूमर को सेकेंडरी ट्यूमर या मेटास्टेटिक ट्यूमर भी कहा जाता है। यह लेख में प्राइमरी ट्यूमर का जिक्र किया गया है। प्राइमरी ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड ट्यूमर 100 से अधिक प्रकार के होते हैं।
क्या ब्रेन ट्यूमर होना आम हैं?
डॉक्टर हर साल यू.एस. में लगभग 85,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की बीमारी का इलाज करते हैं। उन ट्यूमर में से लगभग 60,000 शुरूआती होते हैं और लगभग 25,000 बहुत ही उपरी लेवल ट्यूमर बन जाते हैं।
ब्रेन ट्यूमर से कौन प्रभावित हो सकता है?
ब्रेन ट्यूमर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को होने की सम्भावना अधिक होती है। ब्रेन ट्यूमर बुजुर्ग व्यक्तियो को होने का खतरा सबसे अधिक होता हैं। किसी भी उम्र में ब्रेन ट्यूमर हो सकता हैं। 14 साल से कम उम्र के बच्चों में ब्रेन ट्यूमर कैंसर से संबंधित मौत का प्रमुख कारण है।
ब्रेन ट्यूमर कितने प्रकार के होते हैं?
डॉक्टर दिमाग और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के ट्यूमर को उनके पाए जाने के स्थान के आधार पर अलग अलग भागों में बांटते हैं। डॉक्टर इस बात का ख्याल रखते हैं कि वे कहाँ बनते हैं और किस तरह की कोशिकाएँ उनमें शामिल हैं।
ब्रेन ट्यूमर जो आमतौर पर सॉफ्ट होते हैं उनमें शामिल किया जा सकता हैं:
अकोस्टिक न्यूरोमा: ये ट्यूमर वेस्टिबुलर तंत्रिका (तंत्रिका जो कि कान से होकर दिमाग तक जाती है) पर होते हैं। अकोस्टिक न्यूरोमा को वेस्टिबुलर श्वानोमास भी कहा जाता है।
गैंग्लियोसाइटोमा: ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र(सेंट्रल नर्व सिस्टम) ट्यूमर न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाओं) में बनते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं।
मेनिंगियोमा: ये प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर का सबसे सामान्य सा प्रकार है। मेनिंगियोमा बहुत धीरे-धीरे विकसित होता है। वे मेनिन्जेस में बनते हैं। मेनिन्जेस टिश्यू की वो परतें जो दिमाग और रीढ़ की हड्डी की को बचाने का काम करती हैं। कई मामलों में मेनिंगियोमा खतरनाक भी हो सकता है।
पाइनोसाइटोमा: ये धीमी गति से बढ़ने वाले ट्यूमर पीनियल ग्लैंड में बनते हैं, जो मस्तिष्क में गहराई में स्थित होता है और हार्मोन मेलाटोनिन को स्रावित करता है।
पिट्यूटरी एडेनोमा: ये ट्यूमर पिट्यूटरी ग्रंथि में बनते हैं, जो दिमाग के निचले हिस्से में होता है। पिट्यूटरी ग्लैंड शरीर में कई हार्मोन बनाती है और नियंत्रित करने का काम करती है। पिट्यूटरी एडेनोमा सामान्यतः बहुत छोटे होते हैं।
कॉर्डोमा: ये बहुत धीमी गति से बढ़ने वाले ट्यूमर होते हैं। आमतौर पर स्कैल्प के निचले हिस्से और रीढ़ के निचले हिस्से में शुरू होते हैं। वे ज्यादातर कैंसर नहीं होते हैं।
कैंसरग्रस्त ब्रेन ट्यूमर में शामिल हैं:
ग्लियोमा: ये ट्यूमर ग्लियाल कोशिकाओं में बनते हैं, जो कि नर्व सेल्स के चारो तरफ फैल जाते हैं और उनकी फैलने में सहायता करते हैं। लगभग दोतिहाई कैंसरग्रस्त प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर ग्लिओमास ही होते हैं।
ग्लियोमा के प्रकारों में शामिल हैं:
एस्ट्रोसाइटोमा: एस्ट्रोसाइटोमास ग्लियाल कोशिकाओं में बनता है जिसे एस्ट्रोसाइट्स कहा जाता है।
ग्लियोब्लास्टोमा: यह अटैकिंग एस्ट्रोसाइटोमा ही होता है जो कि बहुत जल्दी से बढ़ता हैं। यही ग्लियोब्लास्टोमा कहलाता हैं।
ओलिगोडेंड्रोग्लियोमा: ये असामान्य सा ट्यूमर होता है जोकि कोशिकाओं में बनना शुरू होता हैं और वही माइलिन को बनाने का काम करता हैं।
मेडुलोब्लास्टोमा: मेडुलोब्लास्टोमा तेजी से बढ़ने वाले ट्यूमर हैं जो कि सिर के निचले हिस्से पर बनते हैं। ये बच्चों में सबसे अधिक होने वाले कैंसर ब्रेन ट्यूमर हैं।
ब्रेन ट्यूमर का क्या कारण होता है?
डॉक्टरों को पता नहीं है कि ज्यादातर ब्रेन ट्यूमर का क्या कारण होता है। शरीर में किसी चीज का परिवर्तन या जीन में कोई कमी होने से मस्तिष्क में कोशिकाओं को अनियंत्रित रूप से बढ़ने का मौका मिल सकता है जिससे ट्यूमर होने की सम्भावना तेजी से बढ़ जाती है।
ब्रेन ट्यूमर का एकमात्र पर्यावरणीय कारण जो पता चला है वो है एक्स-रे के रेडियेशन या पिछले कैंसर के ईलाज के कारण बहुत अधिक मात्रा में रेडियेशन के संपर्क में आने के कारण होता है। कुछ ब्रेन ट्यूमर तब होते हैं जब परिवार के सदस्यों के बीच यह जेनेटिक रुप से फैलने लगता है।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण क्या हैं?
दिमाग या सेंट्रल नर्व सिस्टम के ट्यूमर वाले कुछ लोगों में सामान्यत: कोई लक्षण नहीं होता हैं। कई मामलों में तो डॉक्टर किसी अन्य बीमारी का इलाज करते समय ट्यूमर का पता लगाते हैं।
जैसे-जैसे ब्रेन ट्यूमर बढ़ता जाता है तो वह आसपास की नसों या ब्लड सेल्स पर दबाव डालना शुरू करता है, तब इसके लक्षण दिखने शुरू हो सकते है। ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और अन्य किसी जगह के ट्यूमर के लक्षण और आकार प्रकार अलग अलग होते हैं। इनमें आप निम्न लक्षणों को शामिल कर सकते हैं:
- सिरदर्द जब लगातार होने लगता है तो यह खतरनाक हो सकता है। इसमें सुबह सुबह उल्टी भी हो सकता है।
- व्यवहार या पर्सनाल्टी में बदलाव
- भ्रम महसूस होना
- संतुलन या समन्वय बनाने में कठिनाई होना।
- ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना।
- उल्टी होना
- शरीर या चेहरे के हिस्से में सुन्नपन का होना। कमजोरी या झुनझुनी का होना।
- सुनने, देखने या बोलने में समस्या का होना।
- दौरे पड़ना
- नींद की साइकिल में परिर्वतन होना।
- याददाश्त या सोचने और बोलने या भाषा समझने में परेशानी का होना।
ब्रेन ट्यूमर की पहचान कैसे की जाती है?
ब्रेन ट्यूमर को सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर कई टेस्ट करवा सकते हैं। इन टेस्ट में शामिल हैं:
- आपके स्वास्थ्य का इतिहास
- ब्लड टेस्ट
- बायोप्सी
- इमेजिंग टेस्ट जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई इत्यादि
- न्यूरोलॉजिकल टेस्ट
- स्पाइनल टैप
ब्रेन ट्यूमर का इलाज क्या हैं?
ब्रेन ट्यूमर का इलाज ट्यूमर की जगह, उसका आकार और उसके प्रकार पर अधिक निर्भर करता है। ट्यूमर के इलाज के लिए डॉक्टर अक्सर विभिन्न तरीके की पद्धतियों को अपनाते हैं।
डॉक्टर आपका निम्न तरीके से इलाज कर सकते हैं:
सर्जरी: अगर सर्जरी संभव हुआ तो सर्जन ट्यूमर को हटा देते हैं। दिमाग़ को नुकसान न पहुंचे इसलिए वे बहुत सावधानी से काम करते हैं और एक सुरक्षित इलाज को सुनिश्चित करते हैं।
रेडियेशन से इलाज: एक्स-रे का अधिक रेडियेशन ब्रेन ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट कर देती है या ट्यूमर को सिकोड़ने का काम करता है। कुछ लोगों में ब्रेन ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए सर्जरी से पहले रेडियेशन का काम भी होता है ताकि सर्जन को सर्जरी के समय बहुत कम टिश्यू को हटाना पड़े।
कीमोथेरेपी: कैंसर रोधी दवाएं दिमाग और पूरे शरीर में पाई जाने वाली कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का काम करती हैं। मरीज को एक नस में इंजेक्शन के माध्यम से कीमोथेरेपी दी जा सकती हैं या इस एक गोली के रूप में भी ले सकते हैं। कई मामलों में डॉक्टर ट्यूमर को छोटा करने के लिए सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी का भी इस्तेमाल करते हैं। आपका इलाज करने वाला डॉक्टर सर्जरी के बाद कीमोथैरेपी कराने की सिफारिश भी कर सकता है ताकि कोई भी कैंसर कोशिका न बचे और साथ ही ट्यूमर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोका जा सके।इम्यूनोथेरेपी: इम्यूनोथेरेपी, जिसे जैविक चिकित्सा भी कहा जाता है कैंसर का ही एक अन्य प्रकार का इलाज है जोकि कैंसर से लड़ने के लिए आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का ही इस्तेमाल करता है। थेरेपी में मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को लडने के लिए उत्तेजित किया जाता है ताकि वह अपना काम अधिक प्रभावी ढंग से कर सके।