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ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण

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ब्रेस्ट कैंसर वह कैंसर है जो ब्रेस्ट की कोशिकाओं या कहें कि सेल्स में बनता है। स्किन कैंसर के बाद अमेरिका में ब्रेस्ट कैंसर सबसे अधिक महिलाओं में पाया जाता है। ब्रेस्ट कैंसर पुरुष और महिला दोनों ही लोगों में हो सकता है पर यह महिलाओं में होना कहीं अधिक आम है।

 ब्रेस्ट कैंसर के बारे में किए गए रिसर्च और उसके बारे में फैलाई गई जागरूकता तथा उसे मिले समर्थन से ब्रेस्ट कैंसर को डायग्नोज्ड करना और उसका इलाज करने में आसानी हो गई है। ब्रेस्ट कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी आई है। इसका अर्थ यह है कि इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है जोकि ब्रेस्ट कैंसर के बारे में फैलाई गई जागरूकता और उसके इलाज के लिए अपनाए गए नए दृष्टिकोण का प्रमाण है। ब्रेस्ट कैंसर के बारे में किए गए विभिन्न रिसर्चों ने भी मृत्यू दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आइए ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण के बारे मे जानते हैं जिससे उसकी जल्द से जल्द पहचान हो सके।

ब्रेस्ट कैंसर के विभिन्न प्रकार

  •  angiosarcoma (एंजियोसरकोमा)
  • डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (DCIS)
  • इनवेसिव लोबुलर कार्सिनोमा
  •  स्वस्थानी लोब्युलर कार्सिनोमा (एलसीआईएस)
  • मेल ब्रेस्ट कैंसर
  • रिक्युरेंट ब्रेस्ट कैंसर

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण में से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • ब्रेस्ट के आसपास गांठ या कुछ मोटा महसूस करना जो कि आसपास के टिश्यू से अलग हो सकता है।
  • ब्रेस्ट के आकार में बदलाव होना
  • ब्रेस्ट के ऊपरी स्किन में भी बदलाव महसूस होना जैसे डिंपलिंग
  • निप्पल का उल्टा हो जाना
  • निप्पल या ब्रेस्ट की स्किन के आसपास के स्किन का छीलना, स्केलिंग, क्रस्टिंग या फ्लेकिंग का होना
  • ब्रेस्ट की स्किन का लाल होना या फिर संतरे के कलर का स्किन होना।

डॉक्टर को कब चाहिए

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण जानने के बाद आइए जानते हैं कि डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए। अगर आप अपने ब्रेस्ट में किसी तरह का बदलाव या फिर कोई गांठ पातें हैं जो कि वहां पर पहले नहीं थी तो आप अपने डॉक्टर से सलाह लें। अपनी परेशानी के बारे में बताएं और उनके द्वारा बताए गए दिशा निर्देशों का पालन करें।

ब्रेस्ट कैंसर के कारण

 डॉक्टर यह बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर तब होता है जब ब्रेस्ट सेल्स असामान्य रूप से बढ़ने लगती है और अनियंत्रित हो जाती हैं। ये कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में बहुत अधिक तेजी से टूटती हैं और जमा होती रहती हैं जहां पर यह गांठ बना लेती है। कोशिकाएं ब्रेस्ट के माध्यम से शरीर के किसी अन्य हिस्से या लिंफ नोड्स में भी फैल जाती हैं।

ब्रेस्ट कैंसर अक्सर दूध पैदा करने वाली इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा में शुरू होता है। ब्रेस्ट कैंसर लोब्यूल्स (इनवेसिव लोबुलर कार्सिनोमा) या शरीर के भीतर कई अन्य कोशीकाओं या टिश्यू में भी शुरू हो सकता है।

 शोधकर्ताओं ने कई हार्मोनल तथा जीवन शैली और पर्यावरणीय कारकों की पहचान की है जो कि ब्रेस्ट कैंसर को प्रभावित करते हैं और उसके खतरे को बहुत अधिक बढ़ा सकते हैं पर अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया हैं कि जिन लोगों को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा नहीं होता है उन्हें कैंसर क्यों होता है। ब्रेस्ट कैंसर कई बार अनुवांशिक कारणों के साथ-साथ पर्यावरणीय प्रभाव के कारण भी हो सकता है।

ब्रेस्ट कैंसर आनुवांशिक तौर पर यानी कि विरासत में भी हो सकता है। डॉक्टरों का अनुमान है कि 5 से 10% ब्रेस्ट कैंसर के मरीज वो होते हैं जिनकी पिछली पीढियां इससे प्रभावित रह चुकी हैं।

ब्रेस्ट कैंसर से होने वाला जोखिम

ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कई कारक हो सकते हैं उनमें से कुछ कारक निम्नलिखित हैं-

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने की अधिक संभावना – पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बहुत अधिक होती है।

अधिक उम्र- बढ़ती उम्र भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है। जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाएगी आपको ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ता चला जाएगा।

ब्रेस्ट की स्थिति- बृज की स्थिति भी ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ाने का काम कर सकती है जैसे अगर आपके ब्रेस्ट की बायोप्सी हुई है जिसमें कि सीटू (एलसीआईएस) या स्तन के एटिपिकल हाइपरप्लासिया में लोबुलर कार्सिनोमा पाया गया है, तो आपको ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

कैंसर का इतिहास- अगर आपकी एक ब्रेस्ट में पहले से ही कैंसर हुआ है तो आपके दूसरे ब्रेस्ट में भी कैंसर होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।

आनुवांशिक कारणों के कारण ब्रेस्ट कैंसर का खतरा- अगर आपकी मां, बहन या बेटी को कभी भी ब्रेस्ट कैंसर हुआ है और वह भी बहुत कम उम्र में, तो आपको भी बहुत कम उम्र में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है पर कई बार देखा गया है कि ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों के परिवार में पहले किसी को भी ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी नहीं हुई थी। ब्रेस्ट कैंसर के आनुवांशिक जीन कैंसर के खतरे को बहुत अधिक बढ़ा देते है। यह कैंसर माता पिता के माध्यम से बच्चों में जा सकता है। इस बदलाव को BRCA1 और BRCA2 के रूप में जाना जाता है।

  रेडियेशन के कारण- अगर आपने बचपन में या युवा होने के बाद कभी भी अपनी चेस्ट पर रेडिएशन के माध्यम से इलाज करवाया है तो वह आपको भविष्य में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

 मोटापे के कारण – मोटापे के कारण भी आपको ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

 काम उम्र में पीरियड की शुरुआत होना – कम उम्र में पीरियड्स की शुरुआत होने के बाद ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। अगर 12 साल की उम्र से पहले आपको पीरियड की शुरुआत हो जाती है तो आपको ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

 अधिक उम्र में मेनोपॉज होना- अगर आपको मेनोपॉज बहुत अधिक उम्र में हुआ है तो हो आपको ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना बहुत अधिक होती है।

 अधिक उम्र में पहला बच्चा होना – जो महिलाएं 30 साल की उम्र के बाद अपने पहले बच्चे को जन्म देती हैं उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा काफी अधिक होता है।

कभी प्रेगनेंट न होने के कारण ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा – जो महिलाएं कभी भी प्रेग्नेंट नहीं होती हैं उन महिलाओं में, अन्य महिलाओं की तुलना में जोकि एक या दो बार प्रेग्नेंट हुई है को ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।

 पोस्टमेनोपॉज़ल हार्मोन थेरेपी लेने वाली महिलाएं – जो महिलाएं मेनोपॉज के लक्षणों  का इलाज करने के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को मिलाने वाली हार्मोन थेरेपी से जुड़ी दवाएं लेती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है। पर जब महिलाएं इन दवाओं को लेना बंद कर देती हैं तो उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा भी कम हो जाता है।शराब पीने के कारण ब्रेस्ट कैंसर का खतरा –  शराब पीने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।

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