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मिर्गी के लक्षण

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दिमाग में इलेक्ट्रिकल नुकसान का होना और उसके प्रभाव स्वरूप दिमाग में होनेवाला डिस्टरबेंस ही मिर्गी कहलाती है। मिर्गी हमारे व्यवहार व्यवहार और हमारी गतिविधियों या भावनाओं और चेतना के स्तर में बदलाव का बहुत बड़ा कारण बन सकता है। कम से कम 24 घंटे के अंतराल में दो या दो से अधिक बार मिर्गी के दौरे का पड़ना, जिसका कारण पता नहीं चल पाता है वह मिर्गी कहलाता है।

मिर्गी के दौरे कई तरह के होते हैं, जिनके लक्षण बहुत अधिक गंभीर होते हैं। मिर्गी के दौरे के अलग-अलग किस्म के होते है। इनके प्रकारों का निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि ये दिमाग के किस हिस्से में शुरू होते हैं और कहां तक चले फैलते हैं। मिर्गी के अधिकांश दौरे 30 सेकंड से लेकर लगभग दो मिनट तक चलते हैं।  पांच मिनट से अधिक समय तक चलने वाली मिर्गी में डॉक्टर के पास ले जाना पड़ सकता है।

मिर्गी के दौरे के लक्षण

मिर्गी के विभिन्न प्रकारों के अनुसार मिर्गी के लक्षण भी अलग-अलग और कई तरह के हो सकते हैं। मिर्गी के लक्षण में निम्नलिखित लक्षणों को शामिल किया जा सकता है –

  • अस्थाई रूप से भ्रम का होना
  • एकाएक किसी को घूरना
  • हाथ और पैर को दौरे के समय बहुत अधिक मरोड़ने की कोशिश
  • चेतना को बहुत अधिक नुकसान का पहुंचना।
  • इसके अलावा और भी कई लक्षण हो सकते हैं जैसे कि डर बहुत अधिक चिंता का होना।

मिर्गी के दौरे को कई भागों में बांटा जाता है जैसे –

  • फोकल दौरा
  • सामान्य दौरा
  • मायोक्लोनिक दौरा
  • एटोनिक दौरा
  • क्लोनिक दौरा

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए ?

निम्नलिखित में से कोई भी मिर्गी के लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए –

  • जब मिर्गी पांच मिनट से अधिक समय तक रहे।
  • मिर्गी का दौरा बंद होने के बाद अगर सांस वापस नहीं आती या उस व्यक्ति की स्थिति पहले जैसे नहीं होती है तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • अगर मिर्गी का दौरा दुबारा से आ जाता है।
  • अगर आपको बहुत तेज बुखार आता है।
  • अगर आपको हॉटनेस महसूस हो रही है और उसी की वजह से आप थके हुए भी लग रहे हैं।
  • अगर आप गर्भवती हैं।
  • अगर आपको शुगर हैं तो ये दवाएं लें।
  • अगर आपने मिर्गी के दौरे के समय खुद को नुकसान पहुंचा लिया है तो आप डॉक्टर से मिले।
  • अगर आप मिर्गी के समय दिल के दौरे को महसूस करते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

मिर्गी के दौरे का कारण

मिर्गी के लक्षण के बाद आइए जानते हैं मिर्गी के दौरे का क्या कारण होता है। दिमाग में नर्वस सिस्टम में  इलेक्ट्रिकल इंपल्स बनाने का काम करता है जोकि शरीर में विभिन्न कामों में संचार का काम करती है और शरीर के विभिन्न अंगों को निर्देशित करती है कि उन्हें क्या काम करना है। जब इलेक्ट्रिकल इंपल्स के रास्ते बाधा आनी शुरू हो जाती है तब मिर्गी का दौरा पड़ना शुरू हो जाता है। इलेक्ट्रिकल इंपल्स में पड़ने वाली बाधा कभी कभी आनुवांशिक कारणों से भी होने लगती है।

दौरे पड़ने का सबसे आम कारण मिर्गी हो सकता है पर यह जरूरी नहीं है कि जिस भी व्यक्ति को दौरा पड़ा है उसे मिर्गी ही हुआ हो। कभी कभी दौरे का कारण निम्नलिखित चीजें भी बन सकती हैं जैसे –

  • तेज बुखार का आना जोकि मेनिन्जाइटिस इंफेक्शन के कारण आ सकता है।
  • नींद में बहुत अधिक कमी का होना
  • एकदम चमकती हुई रोशनी का होना
  • कई तरह के दवाएं या पेन किलर
  • धूम्रपान बंद करने के लिए अपनाए जाने वाले विभिन्न तरह के इलाज।
  • सिर में चोट लगने से हुई ब्लीडिंग और उसके वजह से होने वाले दौरे की समस्या।
  • दिमाग में ब्लड वेसल्स की समस्या
  • ऑटो इम्यून बीमारियां सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस और मल्टीपल स्केलेरोसिस  इत्यादि शामिल हैं।
  • कहीं भी लगी हुई चोट
  • दिमाग के ट्यूमर के कारण
  • एम्फ़ैटेमिन या कोकीन जैसी नशीली पदार्थों के सेवन के कारण
  • बहुत अधिक शराब पीना या नशे में बहुत अधिक समय तक रहना।
  • COVID-19 वायरस के इफेक्ट में आना

मिर्गी के दौरे में होने वाली कई जटिलताएँ

मिर्गी के लक्षण या मिर्गी के दौरे पड़ने से कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां भी जन्म ले सकती हैं जो कि आपके या दूसरों के लिए भी बहुत अधिक खतरनाक हो सकती हैं।  आपको निम्नलिखित चीजों का खतरा हो सकता है:

गर्भावस्था में होने वाली जटिलताएं 

गर्भावस्था के दौरान अगर मिर्गी का दौरा पड़ता है तो माँ और बच्चे दोनों के लिए कई खतरे पैदा हो सकते हैं। और साथ कुछ मिर्गी को रोकने वाली दवाएं जन्म में होने वाले दोषों के जोखिम को बढ़ाने का काम कर सकती हैं। अगर आपको मिर्गी की समस्या है और आप गर्भवती होने का प्लान कर रही है, तो आप अपने डॉक्टर के साथ इन सभी सवालों के बारें में जरूर बात करें ताकि वह आपकी दवाओं को सही तरीके से सेट कर सके और आवश्यकतानुसार आपकी गर्भावस्था में आपकी देखभाल कर सकें।

इमोशनल स्वास्थ्य का ध्यान रखें

मिर्गी के दौरे से जूझने वाले लोगों में अवसाद और चिंता जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याएं होने की संभावना भी अधिक होती है। ये समस्याएँ खुद की स्थिति के निपटने के साथ साथ कई तरह के दवाइयों के साइड इफेक्ट्स के कारण भी हो सकती है।

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