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रक्त कैंसर के लक्षण

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किसी भी व्यक्ति का खून जो उसके शरीर के वजन का लगभग 8% होता है शरीर के काम करने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है खून शरीर के सभी अंगों को ऑक्सीजन विटामिन हार्मोन एंटीबॉडी को पहुंचाने का काम करता है। वही ब्लड प्लाजमा वह होता है जो विभिन्न सेल्स अपशिष्ट पदार्थों और पोषक तत्वों को जिसमें कई विटामिन मिनरल्स होते है को शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाने का काम करता है।

जब भी ब्लड कैंसर होता है तो सामान्यतः देखा गया है की वह व्हाइट ब्लड सेल्स के बहुत अधिक बनने के कारण होता है। शोध में पता चलता है कि होने वाले कैंसर ओं में ब्लड कैंसर 10% होता है। जेंडर के हिसाब से देखें तो महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ब्लड कैंसर होने की संभावना अधिक होती है बच्चों में होने वाले कैंसर का लगभग 25% ल्यूकेमिया के कारण होता है।

देखा गया है कि कुछ ब्लड कैंसर बहुत अधिक गंभीर थकान, वजन घटने, रात को पसीना, या लिम्फ नोड सूजन जैसे लक्षण भी पैदा कर सकता है। ब्लड कैंसर के कई लक्षण तुरंत नहीं दिखते हैं बल्कि जैसे-जैसे ब्लड कैंसर बढ़ता जाता है वह लक्षण दिखने लगता है।

रक्त कैंसर कितने प्रकार का होता है?

रक्त कैंसर के लक्षण से पहले रक्त कैंसर के स्टेज के बारे में जान लेते हैं। रक्त कैंसर के तीन शुरुआती स्टेज निम्नलिखित है:

  • ल्यूकेमिया सफेद रक्त कोशिकाओं का कैंसर माना जाता है। ल्यूकेमिया किसी व्यक्ति के शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं को इंफेक्शन से लड़ने को रोकने का काम करता है।  ल्यूकेमिया या तो बहुत तेजी से बढ़ता है या फिर ये बहुत धीमी गति से भी बढ़ सकता है और लिम्फोसाइट्स (लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया) या अन्य सेल्स जैसे माइलॉयड ल्यूकेमिया को बहुत अधिक प्रभावित कर सकता है।  यह 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को होने वाला सबसे आम ब्लड कैंसर है।
  • लिम्फोमा कैंसर लसीका सिस्टम(lymphatic system) का ही एक कैंसर है जोकि विशेष रूप से लिम्फ नोड्स (लसीका सिस्टम(lymphatic system) की छोटी बीन के आकार की संरचनाएं होती हैं और यही हानिकारक पदार्थों को छानने का काम करती हैं)।  यह श्वेत रक्त कोशिका को बहुत अधिक प्रभावित करता है जिसे लिम्फोसाइट्स कहा जाता है।  डॉक्टर इसे हॉजकिन का लिंफोमा (या हॉजकिन रोग) भी कहते है।  (अन्य सभी को को नॉन -हॉजकिन लिंफोमा कहा जाता है।) यह वयस्कों में ब्लड कैंसर का सबसे अधिक पाया जाने वाला प्रकार है, जोकि सभी पाए गए कैंसरो में सबसे अधिक पाया जाता है।
  • मायलोमा कैंसर प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर है जो कि लिम्फोसाइट्स को नुकसान पहुंचाता हैं जोकि इन्फेक्शन से बचाने के लिए एंटीबॉडी को बनाने का काम करते हैं।  मायलोमा से प्रभावित व्यक्ति के शरीर के इम्यून सिस्टम को बहुत अधिक प्रभावित करता है, जिससे यह संक्रमण के लिए बहुत अधिक संवेदनशील हो जाता है।

रक्त कैंसर के लिए जोखिम

ब्लड कैंसर के लक्षण से पहले इसके जोखिमों को जान लेते हैं। रक्त कैंसर के जोखिम कारकों का अभी पूरी तरह से पता नहीं चला है, हालांकि यह माना जाता है कि रक्त कैंसर आनुवंशिक तौर पर और साथ ही पर्यावरण के विभिन्न कारकों के माध्यम से विकसित होता है।  धूम्रपान करना, विकिरण के जोखिम में रहना, और बेंजीन (बहुत अधिक इस्तेमाल किया जानेवाला इंडस्ट्रियल रसायन) जैसे रसायनों के संपर्क में आने से कई तरह के रक्त कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।  एपस्टीन-बार वायरस, एचआईवी और ह्यूमन टी-सेल लिंफोमा / ल्यूकेमिया वायरस संक्रमण भी लिम्फोमा और ल्यूकेमिया को विकसित करने के जोखिम को बढाने का काम करता हैं। आइए ब्लड कैंसर के लक्षण को जानते हैं:

ब्लड कैंसर के लक्षण क्या हैं?

 रक्त कैंसर के लक्षण रोग के अनुसार अलग-अलग भी होते हैं लेकिन आम तौर पर इसमें निम्नलिखित लक्षण शामिल होते हैं:

  •  बुखार का आना
  •  ठंड का लगना
  •  थकान का होना
  • शरीर का कमज़ोर होना
  •  हड्डी और जोड़ों में दर्द का होना
  •  वजन का बहुत अधिक घटना
  •  लिम्फ नोड्स, यकृत और प्लीहा में सूजन का होना
  • कुछ रक्त कैंसर में एनीमिया भी हो सकता है।

रक्त कैंसर का निदान कैसे किया जाता है?

रक्त कैंसर के लक्षण के बाद आइए जानते हैं कि रक्त कैंसर का निदान कैसे किया जाता है :

ल्यूकेमिया: इस कैंसर में आपका डॉक्टर एक सीबीसी का टेस्ट लिख सकता, जो लाल रक्त कोशिकाओं और प्लेटलेट्स के अनुपात में सफेद रक्त कोशिकाओं के असामान्य स्तर की पहचान कर सकता है और इससे कैंसर की गंभीरता का पता चल सकता है।

 लिंफोमा: इस कैंसर में आपके डॉक्टर को एक बायोप्सी करने की जरूरत होगी, जो कि एक माइक्रोस्कोप के तहत की जाएगी जिसमें टेस्ट के लिए ऊतक के एक छोटे से हिस्से को हटा दिया जाता है।  कुछ मामलों में, आपका डॉक्टर सूजन लिम्फ नोड्स का पता लगाने के लिए एक्स-रे, सीटी या पीईटी स्कैन भी करवा सकता है।

 मायलोमा: मायलोमा कैंसर के विकास में शामिल रसायनों या प्रोटीन का पता लगाने के लिए डॉक्टर सीबीसी, या अन्य टेस्ट जैसे रक्त या पेशाब टेस्ट करवाने को भी कह सकता है।  कुछ मामलों में बायोप्सी, एक्स-रे, एमआरआई, पीईटी, और सीटी स्कैन का उपयोग मायलोमा की उपस्थिति और उसकी सीमा की पुष्टि करने के लिए ही किया जा सकता है।

रक्त कैंसर का उपचार

कीमोथेरेपी: कैंसर कोशिकाओं की बढ़ोतरी को खत्म करने और रोकने के लिए शरीर में एंटीकैंसर दवाएं (नस में इंजेक्शन के माध्यम से या कभी-कभी एक गोली के माध्यम से) दी जाती हैं।

विकिरण चिकित्सा: कैंसर के उपचार का यह रूप कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए हाई एनर्जी किरणों का उपयोग किया जाता है।

स्टेम सेल का प्रत्यारोपण: बहुत अधिक घातक रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए स्वस्थ स्टेम कोशिकाओं को प्राभावित व्यक्ति के शरीर में डाला जा सकता है जिससे कैंसर से लड़ा जा सके।

 कैंसर सर्जरी: इस तरह के उपचार में कुछ लिम्फोमा के इलाज के लिए प्रभावित लिम्फ नोड्स को हटाना शामिल होता है।

 इम्यूनोथेरेपी: यह उपचार विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को बहुत अधिक और बहुत तेजी से सक्रिय करता है।

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