वीर्य की कमी के लक्षण
आप सोचते होंगे की शुक्राणु की गुणवत्ता कोई मायने नहीं रखती हैं। पर अगर आप और आपका साथी परिवार बढ़ाने बारे में सोच रहें हैं तो आप जरुर वीर्य में शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता के विषय में सोचते होंगे। पर गर्भधारण के लिए है केवल एक सामान्य शुक्राणु की ही जरूरत होती है पर आपके पास जितना अधिक शुक्राणु है, उतना ही बेहतर होगा।
शुक्राणुओं की कम संख्या
शुक्राणु की कम संख्या, जिसे ओलिगोस्पर्मिया भी कहा जाता है, पुरुषों में बांझपन का एक प्रमुख कारण है। शुक्राणु की संख्या तब कम मानी जाती है यदि यह वीर्य के प्रति मिलीलीटर 15 मिलियन शुक्राणु (mL) से नीचे होता है, पर औसतन लगभग 75 मिलियन शुक्राणु प्रति mL होता है।
इसके जोखिम कारकों में मोटापा या अधिक वजन होना, अंडकोष के भीतर या आसपास अधिक चोट लगना या सर्जरी होना तथा इसके अलावा कुछ दवाएं लेना शामिल हैं। अन्य चीजें जो किसी व्यक्ति को समस्या में डाल में डाल सकती हैं, उनमें शामिल है पुरुषों के अंडकोष को बहुत अधिक गर्मी या अन्य चिकित्सा में को बताना जरूरी है।
इसके अलावा शुक्राणु के कम गुणवत्ता के विभिन्न कारण हो सकते हैं, जिन्हें तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है: चिकित्सा, पर्यावरण और जीवन शैली।
चिकित्सा के कारण
चोट या सर्जरी के साथ ही साथ आनुवंशिक स्थितियों जैसे क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम की हिस्ट्री अगर है तो वीर्य की कमी के लक्षण होने की संभावना बढ़ सकती है।
कीमोथेरेपी, रेडिएशन, या सर्जरी के साथ ही कैंसर उपचार भविष्य में हार्मोन और शुक्राणु उत्पादन को भी प्रभावित कर सकते हैं। कैंसर का रेडिएशन सीधे शुक्राणु पैदा करने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जबकि मस्तिष्क की रेडिएशन या सर्जरी भी इसी तरह शुक्राणुओं की संख्या कम पैदा कर सकती है, क्योंकि मस्तिष्क में बने हार्मोन शुक्राणु के उत्पादन को उत्तेजित करते हैं।
अन्य होने वाले कारणों में शामिल हैं:-
- नसों में सूजन जो कि अंडकोष को सुखा देती है, जिसको वैरिकोसेले कहा जाता है और यह पुरुष में बांझपन का सबसे आम कारण है।
- पिछले इंफेक्शन या यौन के कारण फैला हुआ संक्रमण (एसटीआई), जो विभिन्न रूकावटों, निशान या प्रजनन प्रणाली इत्यादि नुकसान का कारण बन सकता है।
- इरेक्शन या स्खलन के साथ आने वाली समस्याएँ (उदाहरण के लिए, मधुमेह और रीढ़ की हड्डी में इरेक्टाइल डिसफंक्शन या प्रतिगामी स्खलन हो सकता है।)
- प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होने वाली समस्याएं
- सिस्टिक फाइब्रोसिस या सिस्टिक फाइब्रोसिस यदि आनुवंशिक हो तो शुक्राणु को वीर्य में प्रवेश करने से रोक सकती हैं।
- कैंसर, एंटिफंगल, एंटीबायोटिक और अल्सर दवाओं सहित कई बिमारियों के लिए होने वाले इलाज या दवाओं के कारण वीर्य में कमी
- पुरुष प्रजनन प्रणाली के लिए हाल में कराई गई सर्जरी, जैसे कि वृषण शल्य चिकित्सा, मूत्राशय की सर्जरी, अंडकोष की सर्जरी, हार्निया का इलाज और पुरुषों की नसबंदी इत्यादि।
पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याएं
आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि शरीर के तापमान की तुलना में शुक्राणु के जन्म की आदर्श स्थिति थोड़ी कम होती है, इसी कारण से अंडकोष पेट के बाहर और मुख्य शरीर से भी बाहर होता हैं।
अंडकोष को अधिक गर्म करने से वीर्य की कमी के लक्षण हो सकते है। इसका अर्थ यह कि अगर आप लैपटॉप पैर पर रखकर इस्तेमाल कर रहें हैं तो उससे वीर्य की कमी के लक्षण होने की संभावना बढ़ सकती है।
अन्य संभावित पर्यावरणीय कारणों में जड़ी-बूटियों और कीटनाशकों का प्रयोग, सॉल्वैंट्स और अन्य कैमिकल का उपयोग या भारी धातुओं से होने वाले नुकसान को शामिल किया जा सकता है। एक्स-रे या अन्य कारणो से रेडिएशन के संपर्क में आने से वीर्य की कमी के लक्षण जल्दी ही हो सकते हैं।
जीवन शैली
बहुत अधिक ड्रग लेने से और साथ ही अल्कोहल के उपयोग, साथ ही तंबाकू जैसी गतिविधियों से वीर्य की कमी के लक्षण हो सकते है। एनाबॉलिक स्टेरॉयड, जो आमतौर पर मसल्स को बढ़ाने के लिए लिया जाता है, वह लगभग हमेशा अंडकोष को सिकोड़ता है और शुक्राणु के उत्पादन को कम करता है।
मारिजुआना और ओपिओइड शुक्राणु उत्पादन को भी कम करते हैं।
अन्य संभावित कारणों में शामिल हैं:
- टेस्टोस्टेरोन बूस्टर, विटामिन, और कसरत से पहले खाना खा कर जाने स्पर्म के उत्पादन में कमी आती है। सभी उपचय स्टेरॉयड की थोड़ी मात्रा हो सकती है, जो शुक्राणु उत्पादन को बाधित कर सकता है
- वह नौकरियां जिनमें लंबे समय तक बैठने की जरूरत होती है, जैसे ट्रक ड्राइविंग
- तनाव और अवसाद जैसे भावना से जुड़े हुए मुद्दे अधिक गंभीर होते हैं
- अगर आपका मोटापा या वजन अधिक है, तो यह हार्मोन को भी प्रभावित कर सकता है
हस्तमैथुन से क्या स्पर्म कम होता है ?
आपने सुना होगा कि बहुत बार हस्तमैथुन करने से स्पर्म की संख्या कम हो सकती है। हालांकि, अध्ययन स्रोत ने बताया है कि आप दैनिक हस्तमैथुन कर सकते हैं और फिर भी सामान्य शुक्राणु की गुणवत्ता बनाए रख सकते हैं।
कम शुक्राणु होने के संकेत
जब तक कोई व्यक्ति एक परिवार शुरू करने की कोशिश नहीं करता हैं, तब तक व्यक्ति को शुक्राणु की गुणवत्ता के किसी भी लक्षण का अनुभव नहीं हो सकता है। यही ओलिगोस्पर्मिया का मुख्य लक्षण बांझपन है।
यदि कम शुक्राणु संख्या शरीर में किसी के कारण होती है जैसे – हार्मोन का असंतुलन, गुणसूत्र में असामान्यता, वृषण की समस्या, या रुकावट होना -इन लक्षणों का अनुभव आप कर सकते हैं पर जरूरी नहीं है कि स्पर्म की कमी हो। स्पर्म की कमी के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- कम सेक्स ड्राइव होना
- नपुंसकता
- अंडकोष में या उसके आसपास सूजन या दर्द
कम चेहरे या शरीर के बाल
शुक्राणुओं की कम संख्या का निदान
यदि आप पिछले कई सालों से नियमित रूप से यौन संबंध बना रहे हैं और साथी गर्भवती नहीं हो रही हैं तो आपको अपने डॉक्टर से मिल लेना चाहिए। यदि आप इस समस्या के लिए किसी डॉक्टर को नहीं जानते हैं तो आप ब्राउज़र पर सर्च कर सकते हैं। वास्तव में, यदि आप शीघ्र स्खलन, अंडकोष में दर्द होता है तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
निदान में सामान्यतः एक शारीरिक परीक्षा, बीमारी का इतिहास और वीर्य की जांच शामिल होती है।
स्खलन के जांच के लिए उसे एक डिब्बी में लैब में जमा कराना होता है। कई लोगों को यह अजीब लग सकता है पर इसमें अजीब लगने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि यह एक रक्त और पेशाब परीक्षण की तरह ही है।
एक वीर्य का विश्लेषण निदान को प्राप्त करने में विशेष रूप से सहायक हो सकता है, क्योंकि शुक्राणु को माइक्रोस्कोप के तहत गिना जा सकता है और उसकी गतिशीलता और आकार की भी जाँच की जा सकती है। डॉक्टर बदलावों को देखने के लिए परीक्षणों को दोहरा भी सकता है।
मरीज को संभवतः हॉस्पिटल में एक कंटेनर दिया जाएगा। डाक्टर आपको आपको हॉस्पिटल में हस्तमैथुन के लिए बोलेंगे या घर पर कंटेनर ले जाने के लिए कहा जाएगा। यदि आप घर पर नमूना एकत्र करने का विकल्प चुनते हैं, तो आपको विभिन्न निर्देश दिया जाएगा कि आप नमूने की देखभाल कैसे करें अगर आप एक घंटे के भीतर इसे प्रयोग शाला में जमा नहीं करा सकते हैं
चिकित्सक द्वारा किए जा रहे अन्य परीक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- हार्मोन या क्रोमोसोम की जांच के लिए ब्लड टेस्ट
- अंडकोष या प्रोस्टेट को देखने के लिए अल्ट्रासाउंड
- शुक्राणु उत्पादन में जो रुकावट आ रही है उसके मूल्यांकन करने के लिए बायोप्सी