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शतावरी के फायदे

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शतावरी क्या है ?

शतावरी को शतावरी रेसमोसस के नाम से भी जाना जाता है। यह शतावरी फैमिली का ही एक सदस्य है। यह एक एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी भी है। कई बार कहा जाता है कि एडाप्टोजेनिक जड़ी-बूटियाँ हमारे शरीर को शारीरिक और भावनात्मक रूप से होने वाले तनाव से निपटने में बहुत अधिक मदद करती हैं।

शतावरी को जीवन में सुधार के लिए एक सामान्य सा प्रभावशाली टॉनिक भी माना जाता है क्योंकि शतावरी के फायदे बहुत अधिक हैं। शतावरी के फायदे ही इसे आयुर्वेदिक चिकित्सा में एक मुख्य जड़ी बूटी बनाता है। आइए शतावरी से होने वाले कई अन्य लाभों के बारे में जानते हैं –

शतावरी में होते हैं एंटी ऑक्सीडेंट गुण

एंटीऑक्सिडेंट कई तरह से होने वाली कोशिका के नुकसान को रोकने में बहुत अधिक मदद करते हैं। शतावरी ऑक्सीडेटिव तनाव से भी लड़ने का काम करते हैं, जो कि बीमारी होने का कारण बनता है। शतावरी में सैपोनिन की मात्रा भी बहुत अधिक पाई जाती है। सैपोनिन एंटीऑक्सीडेंट की क्षमता बढ़ाने वाले कंपाउंड होते हैं।

 2004 में किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि शतावरी के जड़ के भीतर रेसमोफुरन नामक एक नया एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। शतावारी में पाए जाने वाले दो जरूरी एंटीऑक्सिडेंट होते हैं – शतावरी ए और रेसमोसोल जोकि शरीर के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होते है और यही शतावरी के फायदे को बहुत अधिक बढ़ा देते हैं।

शतावरी में पाए जाते हैं इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण

शतावरी के फायदे की बात करें तो इसमें पाए जाने वाले रेसमोफुरन में भी बहुत महत्वपूर्ण सूजन को कम करने की क्षमता होती है।  हाउ यू कैन बेनिफिट फ्रॉम नेचर्स फार्मेसी पुस्तक के अनुसार, शतावरी में पाया जाने वाला रेसमोफुरन शरीर में उसी तरह काम करता है जैसे कि COX-2 इनहिबिटर के रूप में जानी जाने वाली प्रिस्क्रिप्शन एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं किसी मनुष्य के शरीर में काम करती हैं। इस प्रकार की दवाओं को बेहद ही गंभीर पांच से जुड़ी दुष्प्रभावों के बिना सूजन को कम करने के लिए जाना जाता है और देखा गया है कि ये हमेशा प्रभावी रही है।

इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है शतावरी

आयुर्वेद में शतावरी का उपयोग इम्युनिटी बूस्टर के रूप में भी किया जाता है और यही शतावरी चूर्ण के फायदे में सबसे महत्त्वपूर्ण भी है। 2004 में किए गए एक रिसर्च के अनुसार, शतावरी के जड़ के अर्क के साथ इलाज किए गए जानवरों में बिना इलाज किए गए जानवरों की तुलना में काली खांसी के प्रति एंटीबॉडी में बहुत अधिक बढ़ोतरी देखी गई है। शतावरी के माध्यम से इलाज किए गए जानवर बहुत ही तेजी से ठीक हो गए और कुल मिलाकर उनके स्वास्थ्य में बहुत अधिक सुधार हुआ है। इसने एक बेहतर और मजबूत इम्यून सिस्टम को तैयार किया है और इसीलिए बड़े पैमाने पर शतावरी के फायदे का गुणगान किया जाता है।

खांसी से राहत दिलाने में मदद कर सकता है शतावरी

वर्ष 2000 में चूहों पर किए गए एक रिसर्च के अनुसार, भारत के पश्चिम बंगाल में शतावरी की जड़ का रस खांसी का एक नैचुरल उपचार हो सकता है। शोधकर्ताओं ने खांसने वाले चूहों में खांसी से राहत देने के लिए की इसकी क्षमता को टेस्ट किया और उन्होंने पाया कि शतावरी की जड़ का अर्क खांसी को रोकने में बहुत अधिक सहायता करता है और साथ ही यह उतना ही फायदा करता है जितना कि खांसी की दवा कोडीन फॉस्फेट। पर अभी इस बात पर और अधिक रिसर्च करने की जरूरत की जरूरत है कि इसका खांसी से राहत दिलाने में कितना अधिक योगदान है और क्या उसका उपयोग भविष्य में एक दवा के रूप में किया जा सकता है।

शतावारी दस्त के इलाज में मदद करता है

शतावरी के फायदे पुरुषों के लिए बात करें तो यह दस्त के लिए आमजन में इलाज के रूप में किया जाता है। पर नियमित तौर पर होने वैसे दस्त से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि निर्जलीकरण और इलेक्ट्रोलाइट रूप में असंतुलन। 2005 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, शतावरी ने चूहों में अरंडी के तेल से होने वाले दस्त को रोकने में बहुत अधिक मदद की थी। यह देखने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है कि शतावरी का उपयोग मनुष्य पर उसी तरीके से प्रभावी होगा जिस तरीके से वह चूहों पर प्रभावी रहा है। शतावरी के फायदे पुरुषों के लिए या बात करें महिलाओं पर तो ये लगभग समान ही होते हैं।

मूत्रवर्धक के रूप में काम करती है शतावरी

मूत्रवर्धक हमारे शरीर को अतिरिक्त लिक्विड चीजों से छुटकारा पाने में बहुत अधिक मदद करते हैं। ये अक्सर उन लोगों के लिए बहुत जरूरी होते हैं जिनके दिल के आसपास से एक्स्ट्रा लिक्विड जमा हो जाता है और उस वजह से उनका दिल फेल हो जाता है। प्रिस्क्रिप्शन डाइयुरेटिक्स के भी कई गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। 

2010 में चूहों पर किए गए एक रिसर्च के अनुसार देखें तो आयुर्वेद में शतावरी का उपयोग मूत्रवर्धक के रूप में भी किया जाता है। रिसर्च में पाया गया है कि 3,200 मिलीग्राम शतावरी में बहुत तेज साइड इफेक्ट्स पैदा किए बिना मूत्रवर्धक गतिविधि हुई है।  इस क्षेत्र में मनुष्य के ऊपर शतावरी का अधिक उपयोग करने से पहले और अधिक रिसर्च करने की जरूरत है ताकि पता चल सके कि हम मनुष्यों पर कितना अधिक कारगर साबित हो रही है।

अल्सर के इलाज में प्रभावशाली साबित हो सकती है शतावरी

अल्सर हमारेपेट, छोटी आंत या अन्न की प्रणाली में घाव उत्पन्नकर सकता है और हमें मुश्किलमें डाल सकता है। अल्सर बहुत अधिक दर्दनाक हो सकते हैं और वे असहनीय भी हो जाते है। वे रक्तस्राव का कारण भी बन सकते हैं और उससे किसी भी व्यक्ति की मुश्किलें बढ़ सकती है।

2005 में चूहों पर किए गए एक रिसर्च के अनुसार देखें तो शतावरी की दवा के प्रभाव से गैस्ट्रिक अल्सर के इलाज में बहुत अधिक मदद मिली थी। 

गुर्दे की पथरी के इलाज में मदद करती है शतावरी

गुर्दे की पथरी होने की संभावना हाल फिलहाल अधिक हो गई है। यह पथरी मनुष्यके गुर्देमें ही बनती है। गुर्दे में पाई जाने वाली ये पथरी जैसे ही पेशाब के रास्ते से जाती है वैसे ही ये बहुत अधिक दर्द का कारण बन सकता है। अधिकांश गुर्दे की पथरी ऑक्सालेट से बनी होती है। ऑक्सालेट कुछ खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले कंपाउंड होते हैं, जैसे कि पालक, चुकंदर और फ्रेंच फ्राइज़। इन खाद्य पदार्थों में ये बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं।

 2005 के किए एक रिसर्च में पता चला है कि शतावरी की जड़ के अर्क ने चूहों में ऑक्सालेट पत्थरों के से बनने वाली पथरी को रोकने में बहुत अधिक मदद की है। यह पेशाब में मैग्नीशियम को भी बढ़ाता है। माना जाता है कि शरीर में मैग्नीशियम का उचित स्तर मूत्र में क्रिस्टल के विकास को रोकने में बहुत अधिक मदद करता है जोकि गुर्दे की पथरी बनाने के काम में इस्तेमालकी जाती हैं।

 यह ब्लड शुगर को बनाए रखने में करता है मदद

टाइप 2 मधुमेह विश्व में बहुत अधिक तेजी से बढ़ रहा है इसलिए इसके लिए बहुत अधिक सुरक्षित और अधिक प्रभावी इलाज की जरूरत है। 2007 में किए हुए के एक अध्ययन के अनुसार, शतावरी ब्लड शुगर के स्तर को बनाए रखने में बहुत अधिक मदद कर सकती है। यह माना जाता है कि जड़ी बूटी के भीतर कंपाउंड होता है जोकि इंसुलिन के उत्पादन को उत्तेजित करने का काम करता है। पर अभी तक यह बिल्कुल भी नहीं पता चला है कि ये किस तरह से काम करता है। इस विषयपर अभी और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है।

बॉटम लाइन

शतवारी के फायदे की बात करें तो शतावरी का उपयोग सदियों से आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है और ये बहुत अधिक लाभकारी भी साबित हुआ है। हालांकि किसी भी चिकित्सीय स्थिति के लिए इसकी सिफारिश अभी नहीं की जा सकती क्योंकि इसके बारे में अभी और रिसर्च करने की जरूरत है। शतावरी का शुरूआती तौर पर इस्तेमाल कम मात्रा किया जा सकता है और उससे आप उससे मिलने वाले लाभों को भी पा सकते हैं।

पर अगर आप शतावरी की अधिक खुराक लेना चाहते हैं, तो इसे अपनी लाइफ स्टाइल में शामिल करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें और उनके द्वारा दिए गए सुझावों को ध्यान में रखकर ही फिर इसका इस्तेमाल करें।

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