स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू क्या है ?
स्वाइन फ्लू, जिसे कि एच1एन1 वायरस के रूप में भी जाना जाता है एक इन्फ्लूएंजा वायरस का नया वेरिएंट है जोकि सामान्य फ्लू के जैसे ही लक्षण इसमें भी दिखाई देते है। स्वाइन फ्लू शुरू से हुआ है लेकिन अब यह आदमी से आदमी में भी फैलता है।
स्वाइन फ्लू तब नजर में आया जब 2009 में इसे पहली बार मनुष्य में पाया गया और उसके बाद यह एक बहुत बड़ी महामारी बन गया। इसने दुनिया भर में एक ही समय पर विश्व के कई लोगों को प्रभावित किया और जान माल का नुकसान किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विश्व स्तर je डॉक्टर की सलाहों और विश्वसनीय स्रोतों के आधार पर अगस्त 2010 में स्वाइन फ्लू को एक महामारी घोषित किया। स्वाइन फ्लू का अब एक मनुष्य से मनुष्य में फैलने वाले वायरस के रूप में जाना जाता है। यह बुखार के मौसम के समय ही फैलता है। इसने इससे बचने का एकमात्र तरीका स्वाइन फ्लू के खिलाफ बनाए गए टीके का टीकाकरण करवाना ही है।
फ्लू के कई अन्य प्रकारों की तरह स्वाइन फ्लू भी बहुत अधिक इन्फेक्टिव है जिससे यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति बहुत तेजी से फैलता है। स्वाइन फ्लू से संक्रमित व्यक्ति अगर खुली हवा में छींकता है तो उससे हजारों कीटाणु हवा में फैल सकते हैं। यह हमारे संक्रमित टेबल को छूने या फिर संक्रमित सतह को छूने से भी फैल सकता है।
स्वाइन फ्लू से निपटने का सबसे अच्छा और आसान तरीका यही है कि इसकी रोकथाम की जाए। वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए हाथों को बार-बार धोया जाए तथा संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहा जाए।
स्वाइन फ्लू के जोखिम कारक
जब मनुष्य में स्वाइन फ्लू का पता चला तो यह 5 साल से अधिक उम्र के बच्चों या युवा लोगों में बहुत अधिक पाया जाता था। इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी क्योंकि अधिकतर फ्लू से जुड़े हो वायरस वृद्ध लोगों या फिर कई बीमारियों से जूझ रहे लोगों में पाए जाते थे। स्वाइन फ्लू से संक्रमित होने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है अगर आप स्वाइन फ्लू से प्रभावित शहर या किसी देश में रहते हैं।
स्वाइन फ्लू से इनफेक्टेड होने के बाद कई लोगों को गंभीर बीमारी हो जाती है जिसमें उनकी मौत भी हो सकती है। निम्नलिखित लोगों को स्वाइन फ्लू अधिक परेशान कर सकता है-
- 65 वर्ष से अधिक आयु के वयस्क में
- 5 साल से कम उम्र के बच्चे ms
- युवा या 19 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जो कि लंबे समय से एस्पिरिन (बफ़रिन) थेरेपी ले रहे हैं या हाल फिलहाल ले चुके हैं।
- एड्स जैसी बीमारी के कारण
- प्रेग्नेंट महिलाओं को
- अस्थमा, हृदय रोग, मधुमेह मेलिटस, या न्यूरोमस्कुलर रोग जैसी पुरानी बीमारियो से जूझ रहे लोग
स्वाइन फ्लू होने के कारण
स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस के एक स्ट्रेन के कारण ही होता है जोकि सामान्य तौर पर केवल सूअरों को ही प्रभावित करता था। ठीक से पका हुआ सूअर का मांस खाने से आप स्वाइन फ्लू से इंफेक्टेड नहीं होते हैं।
स्वाइन फ्लू बहुत का इंफेक्शन बहुत तेजी से फैलता है। यह रोग लार और बलगम से भी फैलता है। स्वाइन फ्लू से संक्रमित लोग इसे इसे निम्मलिखित तरीकों से फैला सकते हैं:
- संक्रमित व्यक्ति द्वारा छींक आने पर
- खाँसने पर
- संक्रमित सता को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है।
- नाक को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण काफी हद तक सामान्य फ्लू जैसे ही होते हैं। स्वाइन फ्लू के लक्षण में शामिल है:
- ठंड का लगना
- बुखार का होना
- बार बार खाँसना
- गले में खराश का होना
- बहती हुई या भरी हुई नाक
- शरीर में दर्द का होना
- थकान का बहुत अधिक होना
- दस्त का होना
- मतली और उल्टी का होना
स्वाइन फ्लू का इलाज
स्वाइन फ्लू के अधिकतर मामलों में इलाज के लिए दवा की जरूरत नहीं होती है। जब तक संक्रमित व्यक्ति को कोई और बीमारी नहीं होती है और उसकी बीमारी बढ़ती नहीं है तब तक सामान्य तौर परडॉक्टर दवाइयां नहीं देते हैं। स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सबसे पहले उसके इंफेक्शन होने की क्षमता को कम करना पड़ेगा इसके लिए हमें संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहना होगा।
स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए सामान्य तौर पर दो एंटीवायरल दवाओं की सिफारिश ही की जाती है: ओरल ड्रग्स ओसेल्टामिविर (टैमीफ्लू) और ज़ानामिविर (रिलेंज़ा)। सामान्य फ्लू से बचने के लिए व्यक्त की प्रतिरोधक क्षमता खुद ही से लड़ती है पर स्वाइन फ्लू से लड़ने के लिए कई बार दवाओं की जरूरत पड़ जाती है।
स्वाइन फ्लू से बचाव का तरीका
स्वाइन फ्लू से बचाव का सबसे अच्छा तरीका यही है कि हर साल स्वाइन फ्लू का टीका लगवाएं। स्वाइन फ्लू से बचाव के कई अन्य आसान तरीकों में शामिल हैं:
- बार-बार साबुन या हैंड सैनिटाइजर से हाथ धोना।
- अपनी नाक, मुंह या आंखों को बार बार न छुएं (वायरस टेलीफोन और टैबलेट जैसी सतहों पर जीवित रह सकता है।)
- अगर आप बीमार हैं तो ऑफिस या स्कूल न जाएं।
- स्वाइन फ्लू के मौसम में बड़ी सभाओं को करने से बचना चाहिए।
स्वाइन फ्लू फैलने के मौसम में सरकार द्वारा यार डॉक्टर द्वारा बताए गए गाइडलाइंस को फॉलो करना जरूरी है अन्यथा यह बड़ी महामारी का रूप ले सकती है और इससे हजारों लोगों की जान जा सकती है। फ्लू का यह मौसम साल-दर-साल अलग अलग रहता है, लेकिन कई देशों में यह आम तौर पर अक्टूबर में शुरू होता है और मई के अंत तक चलता रहता है। यह आमतौर पर जनवरी में अपने पीक पर होता है, हालांकि साल के किसी भी समय में फ्लू का होना संभव है।